गुड़ी पड़वा, भारतीय नव वर्ष पर
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मन वांछित लक्ष्य मिलेंगे...
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इंजिनियर अरुण कुमार जैन
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सुखद, सुहानी भोर, लिए उषा अरुणाई,
शीतल वायु से रोमांचित, जग तरुणाई.
कलरव गूँजा,सरिता ने संगीत सुनाया,
नया वर्ष अभिनन्दन करने,को फिर आया.
नव पल्ल्व से सजा-धजा, यह उपवन सारा,
इन्द्रधनुष के सभी रंग, यह मधुवन लाया,
मीठी वाणी कोयल की, सुख आनंद देती,
गगन, धरा, सागर छवि, आह्लदित करती.
खेतों ने उगला सोना, समृद्धि घर आयी,
हर मन में उत्साह, उमंग की, सुरभि छायी.
श्रम का यह उपहार, विपुल तृप्ति, सुख देगा,
मनवांछित लक्ष्य मिलेंगे, वैभव, यश होगा.
ऋतु भी है अनुकूल, न गर्मी, सर्दी अति है,
शांति, प्रेम, उल्लास, प्रगति की सुरभि भी है.
प्रभु, गुरु, अनुकम्पा नित हो अब हर प्राणी पर,
नये वर्ष में प्रगति करें सब जल, थल नभचर मिलकर.