नेमवि में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस





अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर हिंदी विभाग की ओर से एक विचार-गोष्ठी का आयोजन हिंदी व्याख्यान कक्ष में हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों/वक्ताओं ने सरस्वती जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण कर किया। 

गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे राकेश नारायण द्विवेदी ने कहा कि मातृभाषा और माँ का संबंध एक जैसा होता है। मातृभाषा हमारी संस्कृतियों की संवाहक होती है। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए हिंदी की पाँच उपभाषाओं तथा अट्ठारह बोलियों का भी उल्लेख किया और बुंदेली भाषा की प्राचीनता पर भी प्रकाश डाला। 

हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ० सुधाकर उपाध्याय ने बुंदेली में ही कार्यक्रम को संबोधित किया और अपनी एक बुंदेली कविता भी सुनाई। उन्होंने लोकभाषाओं के अवमूल्यन और विलोपन पर भी चिंता व्यक्त की।

हिंदी विभाग के ही सहायक आचार्य डॉ० ओ० पी० चौधरी ने सभी उन्नतियों के मूल में 'निज भाषा' के महत्त्व पर विस्तार से प्रकाश डाला और भाषाओं के उद्भव और विकास को सोदाहरण व्याख्यायित किया। 

विभाग के शोधार्थी श्री धर्मेंद्र कुमार ने कुछ बुंदेली शब्दों पर चर्चा की और वसंत ऋतु में गाया जाने वाला बुंदेली लोकगीत सुनाया।


गोष्ठी को संबोधित करते हुए हिंदी विभाग के सहायक आचार्य श्री जितेंद्र कुमार ने मातृभाषा के महत्त्व को रेखांकित किया। 

कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के सहायक आचार्य श्री हिमांश धर द्विवेदी ने और आभार-ज्ञापन श्री जितेंद्र कुमार ने किया। विचार गोष्ठी में शिक्षकों-कर्मचारियों समेत छात्र-छात्राओं में शिवांश श्रीवास्तव, वर्षा, अंशू राजा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।