सम्भावना कला रत्न सम्मान-2024 से सम्मानित होंगे भूपेंद्र अस्थाना


- चित्रकार डॉ. राज कुमार सिंह के प्रथम पुण्य स्मृति पर आयोजित होंगे सम्मान समारोह एवं कला के कई कार्यक्रम।  


      लखनऊ , 8 जनवरी 2024 , उत्तर प्रदेश लखनऊ के युवा चित्रकार, क्यूरेटर व कला समीक्षक भूपेंद्र कुमार अस्थाना को शहीद पार्क, मोहम्मदाबाद, गाज़ीपुर में आयोजित एक कला समारोह में इनके द्वारा दिए गए कला में योगदान के लिए दिनांक 9 जनवरी 2024 को सम्भावना कला रत्न सम्मान-2024 से सम्मानित किया जायेगा। यह सम्मान भूपेंद्र अस्थाना के अलावां देश के अन्य प्रदेशों के चार और कलाकारों को भी दिया जायेगा। जिसमे एक सम्मान श्री राकेश कुमार 'दिवाकर' ( स्मृतिशेष ) स्वतंत्र चित्रकार व कला समीक्षक आरा, बिहार को "डॉ. राज कुमार सिंह कला स्मृति सम्मान" से एवं डॉ.  रामबली प्रजापति स्वतंत्र चित्रकार व मूर्तिकर, वैशाली, गाज़ियाबाद, श्री संजीव सिन्हा भोजपुरी चित्रकार, आरा, बिहार ,स्वतंत्र चित्रकार श्री अनिल शर्मा, वाराणसी, श्रीमती मीनाक्षी (कलबुर्गी, कर्नाटका) को सम्भावना कला रत्न सम्मान-2024 दिया जायेगा। जिसमें इन सभी चित्रकारों को सम्भावना कला मंच गाज़ीपुर द्वारा स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया जायेगा। इस अवसर पर चित्रकला कार्यशाला, विचार संगोष्ठी का भी आयोजन किया जायेगा। भूपेंद्र अस्थाना ने पिछले 12 वर्षों से कला के तमाम विधाओं एवं आयोजनों में अपने कला व कला लेखन से योगदान दे रहे हैं साथ ही देश के कई महत्त्वपूर्ण आयोजनों और प्रदर्शनियों में अपनी भागीदारी निभाई है और निरंतर योगदान दे रहे हैं।    

  ज्ञातव्य हो कि यह आयोजन उत्तर प्रदेश के एक महत्त्वपूर्ण चित्रकार,कला चिंतक व लेखक डॉ. राज कुमार सिंह के प्रथम पुण्य स्मृति पर किया जा रहा है। राज कुमार सिंह जिन्होंने न केवल अपनी कला से बल्कि अपने ऊर्जावान विचारों और अपने व्यक्तित्व से समाज में अपनी एक पहचान स्थापित की। वह ऊर्जावान चित्रकार और विचारक रहे। उनका निधन आज से एक साल पहले 9 जनवरी 2023 को हो गया था। वे महज 45 वर्ष के थे। राजकुमार सिंह का जन्म 01 जनवरी 1978 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के सुजानपुर गांव में एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। वे केवल एक व्यक्ति ही नहीं, बल्कि एक व्यक्तित्व थे। जिसे उन्होंने खूब जिया साथ ही लोगों को भी जीने का हौसला दिया। वे पेशे से भले ही एक कला अध्यापक रहे लेकिन उन्होंने उस पेशे के कर्तव्यों को भी बखूबी निभाया। और नए युवा कलाकारों को भी पैदा किया जो आज देश में समकालीन कला में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।