- सेंटर फॉर सिविल सोसायटी और फ्रेडरिक न्यूमन फाउंडेशन की
पहल पर बिम्सटेक देशों के प्रतिनिधियों और शिक्षाविदों ने किया मंथन
- दिल्ली सरकार, एनसीईआरटी, यूनेस्को, वर्ल्ड बैंक, सीईई के प्रतिनिधियों ने भी विचार प्रकट किये
नई दिल्ली। थिंकटैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी (सीसीएस) और फ्रेडरिक
न्यूमन फाउंडेशन (एफएनएफ) का मानना है कि समुद्र आधारित अर्थव्यवस्था (ब्लू
इकोनॉमी) को बढ़ावा देकर देश में आर्थिक प्रगति और रोजगार के नए आयाम स्थापित किये
जा सकते हैं। इस उद्देश्य के तहत राजधानी दिल्ली में ‘साउथ एशियन ब्लू करिकुलम फॉर
मॉडर्न एजुकेशनः इंडिया एंड बिम्स्टेक राउंडटेबल’ सम्मेलन का आयोजन किया गया।
सम्मेलन में भारत, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका, म्यांमार, थाइलैंड, भूटान, बांग्लादेश, तिब्बत आदि
बिम्स्टेक (बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमी
कोऑपरेशन) के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों ने विचार विमर्श किया और
स्कूली छात्रों के लिए ब्लू करिकुलम विकसित करने पर सहमति जताई। इस दौरान दिल्ली
सरकार के मुख्य शिक्षा सलाहकार शैलेंद्र शर्मा, एनसीईआरटी के
शैक्षणिक सर्वेक्षण विभाग की प्रमुख डा. इंद्राणी भादुड़ी, यूनेस्को के शिक्षा विशेषज्ञ जॉयसी पोअन, वर्ल्ड बैंक के सलाहकार संजय गुप्ता, सेंटर फॉर इन्वायरमेंट एजुकेशन की डायरेक्टर डा. संस्कृति
मेनन, सेंटर फॉर सिविल सोसायटी के सीईओ डा. अमित चंद्रा व
विभिन्न स्कूलों के शिक्षाविदों ने अपनी राय रखी।
नई दिल्ली के
मेट्रोपॉलिटन होटल में आयोजित राउंडटेबल को संबोधित करते हुए दिल्ली के मुख्य
शिक्षा सलाहकार शैलेंद्र शर्मा ने कहा कि दिल्ली सरकार लगातार स्कूल करिकुलम में
रिफॉर्म के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि सीसीएस और एफएनएफ द्वारा बिम्स्टेक
देशों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर ब्लू करिकुलम तैयार किये जाने के प्रयास की वह
सराहना करते हैं और वे दिल्ली में इसे लागू करने की संभावनाओं पर विचार करने को
तैयार है।
फ्रेडरिक न्यूमन
फाउंडेशन (एफएनएफ) के दक्षिण एशिया प्रमुख डा. कर्स्टन क्लेन ने महासागरों के
संरक्षण पर विशेष ध्यान देते हुए आर्थिक विकास के माध्यम तलाशने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि 7517 किमी लंबी तटरेखा के साथ एक समुद्री राष्ट्र के रूप
में भारत एक अद्वितीय स्थान रखता है। समुद्र तट के 150 किमी के दायरे
में रहने वाले 330 मिलियन लोगों और 72 तटीय जिलों में 18% आबादी के साथ, भारत का समुद्री
महत्व निर्विवाद है। भारत का 95% व्यापार समुद्र
से होता है, जो देश के आर्थिक परिदृश्य में समुद्री क्षेत्र की
महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
डॉ. क्लेन ने
युवाओं, विशेष रूप से तटीय राज्यों के युवाओं को व्यापक
संभावित अवसरों और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न आसन्न चुनौतियों के बारे में
शिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि लाखों
छात्र, और युवा अपनी आजीविका के लिए समुद्री-संबंधित
व्यवसायों पर निर्भर हैं। समुद्री संसाधनों का सतत दोहन करने, पर्यावरणीय लचीलेपन को बढ़ावा देने और बदलती जलवायु से
उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए उन्हें ज्ञान और कौशल से युक्त करने की
जरूरत है।