षष्ठम गोष्ठी
आपके अपने साहित्यकार कवि पत्रकार सम्पत्ति कुमार "भ्रमर बैसवारी' के संयोजन में' 6 ठवां सरस काव्योत्सव' शनिवार 07 अक्टूबर 2023 को ओ.सी.आर बिल्डिंग (विधायक निवास बी ब्लाक) विधानसभा मार्ग में गीतकार श्री सच्चिदानन्द तिवारी "शलभ शास्त्री" की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। मुख्य अतिथि डा.सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी "पथिक" एवं विशिष्ठ अतिथि सुश्री अनीता सिनहा रहीं । वाणी वंदना श्री अनिल किशोर शुक्ल "निडर" ने किया। केन्दीय कवि के रूप में लक्ष्य संस्था के अध्यक्ष श्री कन्हैयालाल जायसवाल जी थे जिन्होंने तीन चक्रों में विभिन्न विषयों में काव्यपाठ किया । गोष्ठी का कुशल संचालन सम्पत्ति कुमार मिश्र "भ्रमर बैसवारी" ने किया। करीब तीन घण्टे चली गोष्ठी में प्रभावी काव्यपाठ सर्वश्री सच्चिदानन्द तिवारी "शलभ" ने " तम का विष सकल पिये जाते हैं कैसे ये दिये जिए जाते हैं" डा. सत्यदेव प्रसाद "पथिक" की पंक्तियां इस प्रकार."कहीं जो त्रिशूली न होते त्रिपुण्डी, कभी तीसरा नेत्र क्या काम आता" सुश्री अनीता सिनहा ने " आसमान से उड़ता -उड़ता एक परिन्दा आया, देख के इस धरती की हालत मन ही मन घबराया" संचालन कर रहे सम्पत्ति कुमार मिश्र "भ्रमर बैसवारी" ने सुभाष पर सुनाया.."कट पाती न बेडियां दासता की, यदि भारत बीच सुभाष न होते" श्री मनमोहन बाराकोटी " तमाचा लखनवी" जो कि चित्त संयोजन का भी दायित्व निर्वहन रहे थे ने सुनाया- "जूठी करके पी रहे, एक नहीं दो तीन। सिगरेट गजब की चीज है, पीते टुकड़े बीन" श्री महोेश प्रकाश अष्ठाना "प्रकाश बरेलवी ने " "पिण्डदान तो बाद में करो मान सम्मान। घर का कूड़ा ये नहीं दिन से करो सम्मान"ओज के वरिष्ठ कवि डा.हरि प्रकाश "हरि". "जो दिलों पर छाप छोड़े, छवि वही है। जो निगल ले तमस सारा, रवि वही है। जो कलम से कलम कर दे काल को भी,'हरि' हवाका रुख बदल ले, कवि वही है।श्री शिवम् श्रीवास्तव ने सुन्दर काव्यपाठ इस प्रकार किया. मैं ठान मदन मन कहता हूं, जो है रस उसमें और कहां? है कौन मुझे जो दिखला दे, मेरे नाथ सा सुन्दर कोई यहां। श्री सुरेश चन्द्र गुप्त "श्याम" की रचना इस प्रकार.." कुछ हुए खर्च तो कुछ खर्च होने वाले थे, कोरोना तेरे लिये, हम फकत निवाले थे" डा. सरस्वती प्रसाद रावत री रचना" सहमीत सहायक होते सदा, मित्रगण से सहारा बहुत मिला" तथा सुन्दर सुस्वादिष्ट जलपान की व्यवस्था सुश्री अंजू अग्निहोत्री ने तथा आभार व्यक्त किया सुरेन्द्र अग्निहोत्री संपादक जी ने।