हिंदी केवल खड़ी बोली नहीं हैं - डॉ.सूर्य प्रसाद दीक्षित
लखनऊ, 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया कि हिन्दी केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी। उसी की स्मृति में हर साल हिन्दी दिवस 14 सितम्बर को मनाया जाता है। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने रेडियो जयघोष के लिए दिए अपने संदेश में गुरुवार को कहा कि हिंदी की स्वीकारता बढ़ाने के लिए राज्य और राष्ट्र की सरकारें प्रयासरत हैं। उसी का परिणाम है कि न्याय, स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हिन्दी की स्वीकार्यरता बढ़ी है। हिन्दी अपनी छोटी बहनों-क्षेत्रीय भाषाओं की मदद से लगातार आगे बढ़ रही है। इसी क्रम में गुरुवार 14 सितम्बर को रेडियो जयघोष ने लखनऊ विश्वविद्यालय-हिन्दी एवं आधुनिक भाषा विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ.सूर्य प्रसाद दीक्षित का नवीन साक्षात्कार प्रसारित किया। उसमें डॉ.सूर्य प्रसाद दीक्षित ने बताया कि हिंदी केवल खड़ी बोली नहीं है। डेढ़ हजार वर्ष पुरानी इस लोकप्रिय भाषा में दो दर्जन से अधिक अन्य भाषाओं-बोलियों को शामिल किया गया है। मुख्य रूप से ब्रज, अवधी, बुंदेलखंडी, राजस्थानी, मैथिली के लोक तत्वों और साहित्य से हिन्दी परिष्कृत हुई है। डॉ.सूर्य प्रसाद दीक्षित ने आर.जे.समरीन को दिये साक्षात्कार में यह भी बताया कि भाषा के चार मुख्य अंग होते हैं बोलना, समझना, पढ़ना और लिखना। इस दृष्टि से हिंदी, पूरे भारत में संपर्क भाषा का महती कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि भारत में तीन प्रकार के भाषा दिवस मनाए जा रहे हैं। 14 सितंबर को हिंदी दिवस, 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस और 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस। उन्होंने इस अवसर पर अपने संदेश में कहा कि हिन्दी को आधुनिक यांत्रिक प्रयोग के अनुरूप ढाला जाए। कम्प्यूटर इस दिशा में अहम् भूमिका अदा कर रहा है। ऐसे में आवश्यकता है कि वैश्विक होती हिन्दी के शब्द, व्याकरण और उच्चारण का मानकीकरण कर उसे जन-जन तक पहुंचाया जाए।