हौसलों की उड़ान से सपनों पर विजय
मनुष्य को अपने जीवन में वांछित खुशियों की सफलता के लिए सपने देखना और उसे प्राप्त करना बेहद मुश्किल और चुनौतीपूर्ण होता है । हम चाहते तो है कि हमारा जीवन सुखी, सम्पन्न, समृद्ध और प्रभावशाली हो । हमारा जीवन पथ निष्कंटक और सुगम हो जिस पर चलते हुए हम सुख - ऐश्वर्य को प्राप्त कर सकें । हमारी लालसा होती है कि हम अपने जीवन में कुछ ऐसा विशेष करें जिससे कि हमारा नाम अमर हो जाए । जन्म और मृत्यु के अंतराल में मनुष्य विभिन्न परिस्थितियों और समस्याओं का सामना करता है । कभी-कभी मनुष्य इन विषम परिस्थितियों से यूं बाहर निकल आया है जैसे सामने किसी भी प्रकार की समस्या थी ही नहीं लेकिन ज्यादातर लोग मुश्किल समय में साहस और खो देते हैं । फलस्वरूप मनुष्य को समस्याओं का जाल जकड़ता चला जाता है और मनुष्य का जीवन अधोगति की ओर चला जाता है। विषम परिस्थितियों से होकर गुजरना और उससे बाहर निकल आना ही मनुष्य का साहसिक गुण है । मनुष्य के अंदर साहस का होना उसकी एक अलौकिक शक्ति है। इसी शक्ति की बदौलत वह दुनिया पर विजय प्राप्त करने में सक्षम और सफल होता है । यह साहस हमारे अंदर कैसे समाहित होगा ? हम विषम परिस्थितियों पर विजय कैसे प्राप्त करें ? मुश्किल समय में खुद को संयमित और संतुलित कैसे रखें? तमाम अनगिनत प्रश्न हमारे मन-मस्तिष्क को झकझोरता है । मुश्किल समय में मनुष्य के अंर्तमन में धीरज, साहस, सत्य, संज्ञान और अपने इष्ट देव का नाम होना आवश्यक है ।
रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने साहस और धैर्यता पर बड़ा ही सुन्दर वर्णन किया है ।
तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सु सत्यव्रत राम भरोसे एक ।।
अर्थात: विपत्ति में अर्थात मुश्किल वक्त में ज्ञान, विनम्रता पूर्वक व्यवहार, विवेक, साहस, अच्छे कर्म, आपका सत्य और राम ( भगवान ) का नाम ही मनुष्य का साथ देती है
अगर जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो मनुष्य को कभी भी अपना साहस नहीं खोना चाहिए । जीवन में ऊंची उड़ान भरने के लिए संयम और आत्मविश्वास का होना भी जरूरी है । मनुष्य के जीवन में सफलता और असफलता का आना-जाना लगा रहता है। जीवन में असफलता ही भविष्य में सफलता की मजबूत इमारत खड़ी करती है । मनुष्य को अपने कार्य के प्रति सजग, आशान्वित और निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए । अपने निर्धारित कार्य को लगनशील और तल्लीनता पूर्वक संपादित करने वाला मनुष्य ही सफलता का परचम लहराता है । अनिश्चितता से ही सफलता के निश्चित स्वरूप का आगमन होता है। भारत का चंद्रयान मिशन भी असफलता से सफलता की एक ऐसी साहसिक कहानी है जिस पर आज विश्व अचंभित होकर भारत का गुणगान कर रहा है ।‌ 22 जुलाई, 2019 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के तत्कालीन अध्यक्ष के सिवन के नेतृत्व में चंद्रमा के लिए भारत का दूसरा मिशन को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था लेकिन भारत का यह अभियान सफल नहीं हुआ ।‌ इसरो की यही असफलता ने उसके वैज्ञानिकों को एक साहसिक कार्य करने का लक्ष्य दे दिया । चार साल बाद भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों अपने निरन्तर और अथक प्रयास से सफलता प्राप्त करने में सफल हो गए । अंतरिक्ष वैज्ञानिक और इसरो के अध्यक्ष श्री एस सोमनाथ के नेतृत्व में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने बीते 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपने उपग्रह चंद्रयान-3 को संभलतापूर्वक उतारकर इतिहास रच दिया है । तात्पर्य यह है कि आप अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए सदैव प्रयासरत रहिए और धैर्यतापूर्वक संघर्ष कीजिए सफलता निश्चित मिलेगी ।
अमेरिकी कवि और लेखक रॉबर्ट ली फ्रॉस्ट की रचनाएं ग्रामीण जीवन के यथार्थपूर्ण चित्र और देशज भाषा पर आधारित हुआ करती थी जिसके कारण ही उन्हें साहित्य जगत में बहुत सम्मान मिला । उनकी एक कविता "स्पॉटिंग बाय वुड्स ऑन ए स्नोई इवनिंग" का उद्धरण Miles To Go Before I Sleep अर्थात "सोने से पहले मुझे मीलों दूर चलना है" आज के समय में भी प्रासंगिक है। ‌ प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए और इस नश्वर शरीर को त्यागने से पूर्व ही कुछ ऐसा हासिल करना चाहिए है जिससे कि जीवन सार्थक और सफल हो जाए । हम अक्सर यह शिकायत करते हैं कि मैं अमुक कार्य नहीं कर सकता । ऐसे विचार हमारे साहस को डिगा कर हमें इच्छित पथ से विमुख कर देते हैं। अपनी मानसिक सोच को सदैव ही सकारात्मक और ऊर्जावान रखिए ।
ना कर शिकवा अगर तू अकेला है ।
गर हौसले पास हैं तो सारा जग तेरा है ।।
इसलिए अपने हौसलों को कम ना होने दें। जीवन में हर प्रकार की परिस्थिति का सामना साहसपूर्वक और निडर होकर करें । मन में जितना साहस भरा होगा सफलता की निश्चितता उतनी ही प्रबल होगी । सही मायने में आत्मविश्वास और साहस ही सफलता का बेहतरीन पैमाना है । हौसलों की उड़ान से ही सफलता के आसमान को नापने में कामयाबी मिलेगी। आप अपनी सफलता का आंकलन स्वयं ना करें और ना ही किसी संपादित कार्य की कामयाबी पर अपना विचार व्यक्त कर तर्क-कुतर्क करके अपना कीमती समय निरर्थक जाने दें । ईश्वर में विश्वास और आस्था रखते हुए अपना कार्य तल्लीनता पूर्वक करें और सफलता की कामयाबी ईश्वर के श्रीचरणों में समर्पित कर दें, वही सबका रखवाला और फल देने वाला है । श्री रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है: होइहिं सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावै साखा॥
अर्थात: मनुष्य के जीवन में वही होगा जो कुछ ईश्वर ने रचा है । बिना वजह तर्क-वितर्क करके समय गंवाने से को लाभ नहीं है।‌ आप अपना कर्म करें और उसका फल ईश्वर पर छोड़ दें। संसार में अनगिनत ऐसे उदाहरण हैं जो हमें यह शिक्षा देते हैं कि हौसलों से ही‌ हर परिस्थितियों का सामना करते हुए जीत सुनिश्चित की जा सकती है। तूफान में घिरा नाविक अगर हौसला खो दे तो क्या होगा ? मनुष्य के जीवन का हर कदम ही मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और आर्थिक जैसे विभिन्न तूफानों से घिरा हुआ है जिससे बाहर निकलने के लिए आत्मबल और साहस का होना आवश्यक है । ईश्वर हमें एक बार इन परिस्थितियों से निकलने का मार्ग अवश्य प्रदान करता है ।‌ साहस और धैर्यतापूर्वक अपना कर्म करते हुए हम हर परिस्थितियों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। संस्कृत में एक प्रभावशाली श्लोक को देखिए - उद्यमः साहसं धैर्यं बुद्धिः शक्तिः पराक्रमः।
षडेते यत्र वर्तन्ते तत्र दैवं सहायकृत् ।।
अर्थ : उद्यम (परिश्रम करने वाला व्यक्ति), साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति और पराक्रम - जिस व्यक्ति में यह 6 गुण होते हैं, ईश्वर भी उसकी मदद करते हैं। इसलिए कभी भी अपने मन-मस्तिष्क में नाकारात्मक विचारों को पनपने ना दें । स्वयं को सदैव प्रसन्नचित्त, ऊर्जावान, स्फूर्तिवान और साकारात्मक रखिए । अपने मन-मस्तिष्क में सकारात्मक विचारों का सृजन करें। जीवन का हर मुश्किल लक्ष्य आसान हो जाएगा और इच्छित फल की प्राप्ति होगी जिससे तन-मन को पुलकित हो जाएगा ।
-आर सी यादव