लघुकथा का जन्म विसंगति से होता है। समस्या के विवेचन के साथ रचनाकारों का दायित्व है कि वह समाधान के साथ सकारात्मक रचनाकर्म करे।- सन्दीप तोमर
इंदौर।कथा दर्पण साहित्य मंच के मासिक लघुकथा वाचन कार्यक्रम में उक्त बात वरिष्ठ लघुकथाकार संदीप तोमर ने कही। लघुकथा वाचन कार्यक्रम में देशभर के लघुकथाकारो ने भाग लिया।जिसकी अध्यक्षता अनिल वर्मा जी ने की तो निर्णायक की भूमिका दिल्ली के जानेमाने कहानीकार, आलोचक सन्दीप तोमर ने की।कार्यक्रम में सुरेंद्रकुमार अरोड़ा ने जनहित@दंगे, रितु प्रज्ञा ने आखिर कब तक,सुमन सिंह चंदेल ने स्त्री,सरला मेहता ने सफेद शाल,अमिता गुप्ता"नव्या"ने मत छेड़ो हरियाली को,वंदना गोपाल शर्मा"शैली" ने एंजॉय,कमला अग्रवाल ने जन्मदाता,सुधाकर मिश्रा ने बिलकुल सही,निर्मल कुमार दे ने नजरिया,उषा गुप्ता ने उल्टी गंगा बहे तो,सपना चंद्रा ने लिबास,स्वाति क्षोत्री ने अपनी लघुकथा अभिनेत्री सुनाई तदपश्चात पूनम वर्मा ने अपनी लघुकथा बोंजाई सुनाकर सबका दिल जीत लिया।
कार्यक्रम में सुनीता मिश्रा कल्पना भट्ट हेमलता मिश्र मीरा सिंह "मीरा" पूनम पी सहाय अनिता मिश्रा"सिद्धि" आशा जाकड़ सुधा दवे तपन जिंदल मिन्नी मिश्रा सोनाली खरे देवेंद्र सिंह सिसौदिया डॉ.हरीश कुमार डॉ.विद्यावती पाराशर डॉ.रेखा मंडलोई आरती चित्तौड़ा,मनोरमा पंत अनिल श्रीवास्तव एस प्रेरणा कुसुम पारीक आदि की भी उपस्थिति रही। दिल्ली से वरिष्ठ लघुकथाकार सुरेंद्रकुमार अरोड़ा ने कहा- लघुकथा में समसामयिक घटनाओं का समावेश समय की आवश्यकता है। निर्णायक सन्दीप तोमर ने निर्मल कुमार दे की लघुकथा "नजरिया" को आज की सर्वश्रेष्ठ लघुकथा माना गया जबकि अमिता गुप्ता को "मत छेड़ो..."के वाचन के लिए सर्वश्रेष्ठ चुना गया। सुधाकर मिश्रा की रचना "बिलकुल यही" को संयुक्त रूप से द्वितीय स्थान के लिए चुना गया। इसी तरह से वंदना गोपाल शर्मा को एंजॉय और पूनम वर्मा की लघुकथा बोंजाई को संयुक्त रूप से तृतीय पुरस्कार के निर्णायक संदीप तोमर ने घोषित किया। संचालन निशा भास्कर का रहा। मंच के अध्यक्ष अजय वर्मा ने सभी उपस्थित रचनाकारों का आभार व्यक्त किया।