सरस काव्य गोष्ठी
लखनऊ,दिनांक 12 अगस्त, 2023 (द्वितीय शनिवार) को ओ.सी.आर सी- ब्लाक में एक मासिक कवि गोष्ठी सम्पन्न हुई।
गोष्ठी के अध्यक्षता श्री सच्चिदानन्द तिवारी "शलभ", मुख्य अतिथि डा.सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी "पथिक", विशिष्ठ अतिथि श्री कन्हैयालाल जायसवाल एवं श्री महेश प्रकाश अष्ठाना "प्रकाश बरेलवी", वाणी वंदना डा.सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी "पथिक" एवं गोष्ठी का कुशल संचालन श्री सम्पत्ति कुमार मिश्र "भ्रमर बैसवारी" ने किया।
काव्यपाठ श्री सच्चिदानन्द तिवारी "शलभ" ने इस प्रकार किया-
छाई बदरिया कारी,
कठिनाई में श्वसन, आंखों में जी में जलन, सूझे न हल लाचारी.
मुख्य अतिथि डा.सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी "पथिक" की रचना इस प्रकार--
जिसने त्यागा उसका सब है इति वृत्ति उसी का होता है।
करुणा का ही जल दृग जल है जो, सदियों का हृदय भिगोता है।
श्री सम्पत्ति कुमार मिश्र "भ्रमर बैसवारी" का शहीदों पर मुक्तक इस प्रकार ..
धन्य हैं जो वतन के लिये मर गये।
मर के भी नाम अपना अमर कर गये।।
दीप जीवन का अपने बुझाया मगर;
हर "भ्रमर" में नयी रोशनी भर गये।
विशिष्ठ अतिथि प्रथम श्री कन्हैयालाल जायसवाल का गीत..
वक्त कुछ ऐसा आ जाये।
विश्व में भारत का तिरंगा फहराये।
रुपये में व्यापार हो रहा विदेशों में;
यहां की संस्कृति, संस्कार विश्व में छा जाये।
विशिष्ठ अतिथि द्वितीय श्री महेश प्रकाश अष्ठाना "प्रकाश बरेलवी"
बता रहा संसार को, कर्मयोग का ज्ञान।
ज्ञान भक्ति का शोध है, गीता ग्रन्थ महान।
डा.सरस्वती प्रसाद रावत की रचना इस प्रकार..
जलाओ ज्ञान का दीपक उजाला तो स्वत: होगा ...
श्री मुकेश कुमार श्रीवास्तव की रचना इस प्रकार रही..
अब राम ही लेंगे शायद ही अवतार यहां पर..
सुश्री शीला वर्मा "मीरा" ने सुन्दर गीत सुनाया..
तेरी यादों की ठण्डी पुरवाई नस-नस में मेरे जेल गई.
तेरी मधुर मनोहर छवि कुछ कान में मेरे आकर बोल गई।
श्री संतोष कुमार तिवारी "संतोष हिन्दवी" की पंक्तियां इस प्रकार रहीं.
संसद के इस उच्च पलट पर, तम गहराता जाता है।
न्याय-निष्ठ आदर्शों पर अब, प्रश्न चिह्न उठ जाता है।
उच्च अदालत के प्रतिमानों पर सरकारें ऐंठी हैं।
लोकतंत्र के संविधान पर, शकुनी माया बैठी है।
श्री विजय श्रीवास्तव "विजय" की पंक्तियां इस प्रकार रहीं..
घर से निकले क्यों, मदारियों की तरह?
करो राजनीति बन सेवकों की तरह,
घर लाओ बहू बेटियों की तरह,
दहेज मांगते क्यों,भिखारियों की तरह।
गोष्ठी समय से प्ररम्भ होकर करीब तीन घण्टे चली.अन्त में वरिष्ठ संपादक श्री सुरेन्द्र अग्निहोत्री ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया ।