सुरुजबाई खाण्डे की जयंती के उपलक्ष्य में राजधानी रायपुर में मनाया गया "सुरुज उत्सव"
-भरथरी गायिका सुरुज बाई खाण्डे को मिलना चाहिए पद्मश्री : पद्मश्री डॉ.भारती बंधु
-सुरुज बाई खाण्डे की जयंती पर हुआ राज्यस्तरीय कवि सम्मेलन
कबीरधाम- रायपुर नगर के स्थानीय गुरु घासीदास गृह निर्माण सहकारी संस्था न्यू राजेन्द्र नगर रायपुर में 12 जून 2023 को अंतर्राष्ट्रीय भरथरी लोकगायिका सुरुज बाई खाण्डे की 74 वी जन्म जयंती के अवसर पर सुरुज ट्रस्ट के द्वारा 'सुरुज उत्सव' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सुरुज ट्रस्ट के अध्यक्ष दीप्ति ओग्रे के द्वारा ट्रस्ट के तत्वावधान में रायपुर शहर में प्रथम बार यह आयोजन रखा गया। कार्यक्रम में मुख्यअतिथि रहे प्रसिद्ध सूफी भजन गायक पद्मश्री डॉ.भारती बन्धु जी। आमंत्रित विशिष्ट अतिथियों के रूप में पं.सुन्दरलाल शर्मा सम्मान से सम्मानित गीतकार मीर अली मीर जी, छन्द के छ के संस्थापक वरिष्ठ साहित्यकार छन्दविद् अरुण कुमार निगम जी, वरिष्ठ साहित्यकार और फिल्म निर्माता डॉ.जे आर सोनी जी, प्रसिद्ध सतनाम भजन गायक यशवंत सतनामी जी, सुरुज बाई खाण्डे भरथरी टीम के बासुरी वादक उमेश सिहोते जी, लोकगायिका लक्ष्मी करियारे जी और लोकगायक सूरज श्रीवास जी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में सुरुज बाई खाण्डे की जीवनी पर प्रकाश डालने वाले आमंत्रित वक्ता रहे श्रीमती शकुंतला तरार जी सम्पादक नारी का सम्बल व मड़ई देशबंधु के सम्पादक सुधा वर्मा जी। कार्यक्रम का संचालन भिलाई के हास्य कवि गजराज दास महंत और वरिष्ठ साहित्यकार छन्दविद् चोवाराम वर्मा 'बादल' हथबंद ने किया।
पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न 06 बजे तक चले इस कार्यक्रम का शुभारंभ उपस्थित अतिथियों द्वारा गुरु घासीदास बाबा के तैल-चित्र में दीप प्रज्जवलन, गुरुवंदना कर और सुरुज बाई खाण्डे की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर किया गया।तत्पश्चात लक्ष्मी करियारे एवं सूरज श्रीवास के द्वारा राज्यगीत की प्रस्तुति दी गई। आयोजन के मुख्य अतिथि डॉ. भारती बंधु ने सुरुज बाई खाण्डे को एक दिव्य कलाकार सहा साथ ही उन्हें पद्म पुरस्कार नहीं मिल पाने पर दुख व्यक्त करते परणोपरान्त ही सही पद्म पुरस्कार मिलना चाहिए कहा। मीरअली मीर ने सुरुज बाई खाण्डे को सुरुज की तरह कहते हुए भरथरी और सुरुजबाई खाण्डे को एक दूसरे का पर्याय बताया। अरुण कुमार निगम ने जोर देकर कहा कि साहित्यकारों और कलाकारों को सम्मान पत्र नहीं बल्कि सम्मान कमाना चाहिए। सुरुजबाई खाण्डे ने जो किया इस तरह का सम्मान वाला कार्य लोक की स्मृतियों में बस जाता है। सम्मान पत्र के बजाय लोग प्रायः सम्मान को ही याद रखते हैं, याद करते हैं। डॉ. जे आर सोनी ने गुरु घासीदास साहित्य और संस्कृति अकादमी के द्वारा प्रतिवर्ष दिए जाने वाले सम्मान में सुरुज बाई खाण्डे के नाम से भी सम्मान दिए जाने की बात कही। शकुन्तला तरार और सुधा वर्मा के द्वारा सुरुजबाई खाण्डे की जीवनी पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए उनके संघर्ष के दिनों को रेखांकित किया गया। उन्होंने कला के प्रति सुरुजबाई खाण्डे के समर्पण को अद्भुत और अद्वितीय बताया। उन्हें यथोचित सम्मान नहीं मिल पाने पर गहरा दुख जताया।
कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों के द्वारा साहित्यकार जगदीश हीरा साहू द्वारा रचित पुस्तक 'माँ कौशिल्या चालिसा' का विमोचन किया गया। साथ ही प्रदेश की सामाजिक साहित्यिक संस्था वक्ता मंच को उनके सराहनीय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। सुरुज उत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित प्रदेशस्तरीय कवि सम्मेलन में प्रदेश भर से शताधिक कवि साहित्यकार शामिल हुए। सब ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियाँ दी। काव्यपाठ में सुरुज बाई खाण्डे की जीवनी,नारी जागृति, पर्यावरण संरक्षण, देशभक्ति,शिक्षा, संस्कार जैसे सामाजिक सरोकार के विविध विषयों पर प्रकाश डाला गया। सभी कवियों को अंगवस्त्र और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में कबीरधाम से सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर', अश्वनी कोसरे'प्रेरक', बेमेतरा से मणिशंकर दिवाकर'गदगद' सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का संयोजन सतगुरु कैलेंडर के संपादक सुरुज ट्रस्ट के कार्यकर्ता साहित्यकार असकरन दास जोगी ने किया।
प्रस्तुति--सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'