आधुनिक गढ़वाली नाटकों व नाट्य मंचन की एक सौ दस वर्ष की यात्रा- भीष्म कुकरेती
गढ़वाल सदा से ही अपने धार्मिक, सांस्कृतिक , सामाजिक, कलात्मक व भौगोलिक वैशिष्ठ्य के करण विशेष रहा है. जहां तक लोक नाट्य कला व मंचन कला का प्रश्न है इसमें भी गढ़वाल की अपनी विशेषता रही है. गढ़वाल में बादी- बादण व्यवसायिक स्तर पर लोक नाटकों को संजोये रहते थे व समय समय पर काल, वर्ग, व स्थान की दृष्टी से उनका विकास करते रहते थे. अब यह व्यवसायिक जाति अपने व्यवसाय को तिलांजलि दे रही है जो की शायद समय की भी मांग है. गढ़वाल में आधुनिक या कहें कि ब्रिटिश शिक्षा आने से ही गढ़वाली आधुनिक नाटकों का प्रादुर्भाव हुआ. आधुनिक गढ़वाली नाटकों को समय अनुसार विभेद नही कर सकते हैं क्योंकि कालानुसार गढ़वाली नाटकों में एक ही प्रवृति नही पाई गयी है . गढ़वाली नाटकों को विषय अनुसार विभेद कर सकते हैं जैसे - धार्मिक नाटक, पौराणिक इतिहास पर आधारित नाटक -समाजिक व सांस्कृतिक नाटक - विशेष दर्शकों हेतु नाटक -आपस में कुछ विशेष लोगों के मध्य खेला जैसे साथियों के मध्य खेला जाने वाला नाटक - पारिवारिक नाटक -किसी विशेष परम्परा में खेला जाने वाला नाटक -त्रासदी या करूण रसमय नाटक -सम्भोग श्रृंगारिक नाटक -विप्रलंभ श्रृंगारिक नाटक -संबंधियों से प्रेम आधारित नाटक -प्रहसन या हास्य नाटक -प्रहसन युक्त व्यंग्यात्मक नाटक -निखालिस व्यंग्यात्मक नाटक - वात्सल्य मूलक नाटक -प्रति वात्सल्य मूलक नाटक -वीर रस युक्त नाटक -भक्ति या स्वामी भक्ति पूर्ण आधुनिक नाटक -अपराधिक नाटक व जासूसी नाटक -संवेदन शील नाटक -रहस्यात्मक या भूत आदि नाटक -न्याय पूरक नाटक -प्रेरणा दायक नाटक -बाल नाटक -अन्य प्रकार भवानी दत्त थपलियाल ने गढ़वाली जागर कथा आधारित 'जय विजय' नाटक लिखकर आधुनिक गढ़वाली नाटकों का श्री गणेश किया . किन्तु 'भक्त प्रहलाद' (१९१२) पहले प्रकाशित हुआ. अत: 'भक्त प्रहलाद' को आधुनिक गढ़वाली का प्रथम नाटक कहा जाता है. 'बाबा जी कि कपाळ क्रिया (१९१२-१३) भवानी दत्त थपलियाल द्वारा लिखित नाटक 'भक्त प्रहलाद' का एक भाग है उसी तरह 'फौन्दार कि कछेड़ी' भी भक्त प्रहलाद का भाग होते भी मंचन दृष्टि से अलग नाटक भी है. १९३० में वकील घना नन्द बहुगुणा का 'समाज' नाटक लखनऊ से प्रकाशित हुआ विश्वम्बर दत्त उनियाल कृत सामाजिक नाटक 'बसंती' १९३२ में देहरादून में मंचित हुआ सत्य प्रसाद रतूड़ी , देवी दत्त नौटियाल, विद्या लाल नौटियाल, मढ़कर नौटियाल (चार मित्र सूखक) लिखित व गीत विजय रतूड़ी द्वारा रचित नाटक 'पांखु' का मंचन १९३२ में टिहरी में हुआ. इश्वरी दत्त जुयाल रचित नाटक 'परिवर्तन' १९३४ में कराची से प्रकाशित हुआ. भगवती प्रसाद पांथरी रचित अध : पतन (१९४०-४१) एक सामाजिक नाटक है .पांथरी द्वारा रचित दूसरा नाटक भूतों कि खोह है(१९४०) है भगवती प्रसाद चंदोला रचित श्रमदान पर व्यंग्य करता नाटक 'आज अळसो छोड़ देवा' देहरादून में मंचित हुआ जीत सिंह नेगी द्वारा लिखित गीत-गद्य नाटक 'भारी भूल ' १९५५-५६ मंचित और १९५७ में प्रकाशित हुआ . नेगी के प्रकाशित व अप्रकाशित 'जीतू बगडवाल' , 'राजू पोस्टमैन', 'रामी बौराणी' सभी नाटक मंचित हुए हैं. मलेथा की कूल नृत्य नाटिका का १९८७ से मंचन प्रारम्भ हुआ डा. गोविन्द चातक के सात नाटक जंगली फूल में संकलित हुए (१९५७). ब्वारी वहू प्रताड़ना विषयक नाटक है; 'द्वी हजार कि द्वी आंखी' महिला मनोविज्ञान कि कथा है; 'घात ''अंधविश्वास विरोधी, 'जंगली फूल' सामाजिक नाटक; केर(मानव अधिकार संबंधी) ; मुंडारो (अनमेल विवाह) ; 'नौनु हुंद तो' (पुत्र लालसा) गढ़वाली नाट्य विधा के फूल हैं अबोध बंधु बहुगुणा का बादी बादण शैली का 'छिलाअ छौळ ' नाटक १९५९ में उत्तराखंड साप्ताहिक में प्रकाशित हुआ. ललित मोहन थपलियाल के सभी नाटक १९५५ के बाद मंचित होने शुरू हुए; खाडू लापता एक हसी व्यंग्य मिश्रित सामाजिक नाटक है; 'अन्छरियों का ताल' एक रहस्यात्मक व दार्शनिक नाटक है; 'एकीकरण' सामजिक संस्थाओं पर चोट है; 'घर जवें' एक हास्य व्यंग्यात्मक नाटक है; 'चमत्कार' अंधविश्वास विरोधी नाटक है सन अस्सी से पहले देहरादून में दामोदर थपलियाल के चार नाटक -मनखि, औंसी क रात, तिब्बत विजय व प्रायश्चित मंचित हुए जिनमे मनखि व औंसी क रात प्रकाशित हो चुके हैं १९६२ में पाराशर गौड़ लिखित नाटक 'औंसी कि रात' दिल्ली में मंचित हुआ और पहली बार इसमें जनाने कलाकारों ने भाग लिया १९६३ में 'नाची नरसिंग' जगदीश पोखरियाल लिखित देशभक्ति विषयी नाटक मंचित हुआ मुंबई में १९६२-६३ में दीन दयाल द्विवेदी का सामाजिक नाटक 'जागरण' मंचित हुआ विश्व मोहन बडोला निर्देशित, लौर्ड डुनसाने कृत 'चट्टी की एक रात' (१९७०) विदेशी भाषा पर आधारित नाटक है. भीष्म कुकरेती ने इसी नाटक का अनुवाद 'ढाबा मा एक रात' (२०१२) कर इंटरनेट माध्यम में प्रकाशित किया राजेन्द्र धष्माना द्वारा रचित सामजिक संस्थाओं पर चोट करता 'जंकजोड़ ' (१९७०) ' नाटक है तो ' अर्धग्रामेश्वर' आधनिक शैली का नाटक 'अर्ध ग्रामेश्वर ' (1976) सामयिक ग्रामीण व्यवस्था व प्रवासियों के खटकरम को दर्शाता है सन १९७० में भीष्म कुकरेती व सम्पूर्ण बिष्ट द्वारा प्रेम चंद कृत 'कफन' का रूपांतरित नाटक देहरादून में मंचित हुआ . १९८० में कुसुम नौटियाल द्वारा रूपांतरित नाटक दिल्ली में मंचित हुआ १९७१ से सन अस्सी तक किशोर घिल्डियाल (काली प्रसाद घिल्डियाल) के नाटक 'दूणो जनम' (छुवाछूत विषयक ) ; 'रग ठग '(पुत्र-पुत्रीहीन दम्पति का संघर्ष) व 'कीडू क ब्व़े '(स्त्री त्याग व संघर्ष) के नाटक दिल्ली में मंचित हुए. १९७१ में पाराशर गौड़ द्वारा लिखित 'चोळी' (महत्वाकांक्षा सम्बन्धी ) नाटक दिल्ली में मंचित हुआ मदन थपलियाल द्वारा कश्मीरी नाटक का रूपांतरित नाटक 'नाटक बन्द करो' का मंचन दिल्ली में १९७३ में हुआ प्रशाश्कीय लाला फीताशाही पर चोट करता राजेन्द्र धष्माना लिखित नाटक 'जंक जोड़' १९७५ में मंचित हुआ. नित्यानंद मैठाणी द्वारा लिखित हास्य व्यंग्य नाटक 'चौडंडि' ,; 'छुट्या बल्द ' (१९७५) युवा शक्ति जागरण का रेडिओ नाटक है; . 'च्यूं' में मैठाणी ने लोक कथा शैली अपनाई है; मैठाणी के अन्य 'फुलमुंडी सासू ' वहु प्रताडन विषयक; (सभी नाटक १९७५ के हैं) ; 'खौल्या' (गरीबी, कुपोषण ); ना थीड माई तै (पुत्र लालसा संबंधी ), टॉम (शराब विरोधी) प्रसिद्ध नाटक हैं चिंता मणि बडथ्वाल द्वारा लिखित नाटक ' टिन्चरी ' नाटक दिल्ली में १९७६ में मंचित हुआ डा. पुष्कर नैथाणी द्वारा लिखित नाटक 'अभिज्ञान शाकुंतलम' (१९७८-७९) कालिदास के संस्कृत नाटक का उमदा अनुवाद है. स्वरूप ढौंडियाल लिखित नाटक 'अदालत' कै बार मंचित हुआ (१९७९) और पलायन विभीषिका को दर्शाता असलियत वादी नाटक है कन्हयालाल डंडरियाल द्वारा लिखित व राजेन्द्र धष्माना द्वारा रूपांतरित नाटक 'कंशानुक्रम' १९७९ में दिल्ली में मंचित हुआ. पाराशर गौड़ द्वारा लिखित 'औंसी कि रात' नाटक दिल्ली में मंचित हुआ. इसी तरह दिल्ली में १९७० से १९७५ तक मंचित वीरेन्द्र मोहन रतूड़ी का 'एक जौ अगने' व गिरधारी लाल कंकाल लिखित नाटको का गढ़वाली नाटक में महत्वपूर्ण स्थान है वैदराज गोविन्दराम पोखरियाल का संयुक्त परिवार कि विभीषिका दिखाता 'बंटवारो ' नाटक अस्सी के दशक में प्रकाशित हुआ डा. हरिदत्त भट्ट के नाटक 'नौबत, 'दिवता नचा', 'वयो कि बात', 'छि कख क्या' नाटक १९८० से पहले प्रकाशित व मंचित हुए. मूलत : ये नाटक सामजिक व हसी व्यंग्य के नाटक हैं.: डी.डी. सुंदरियाल लिखित ज़ात-पंत विरोधी 'जौंळ -बुरांश' (१९७९) में चंडीगढ़ में मंचित हुआ. सुरेन्द्र बलोदी द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक 'ब्यखनि क घाम" (१९८०) एक दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक व प्रेरणादायक नाटक है. १९८० से पहले ब्रज मोहन कबटियाल द्वारा लिखित , निर्देशित धार्मिक गीतेय नाटक 'किष्किन्धा काण्ड' कई बार कोटद्वार में मंचित हुआ. एन. डी. लखेड़ा लिखित शराब विरोधी नाटक घुंघटो ' १९८० में चण्डीगढ़ में मंचित हुआ डी.डी. सुंदरियाल लिखित बाल प्रताडन आधारित 'औंसी कु चांद' नाटक चण्डीगढ़ में १९८० मंचित हुआ पलायन विभीषिका आधारित ,डी.डी. सुंदरियाल लिखित 'खंद्वार ' नाटक १९८० में चंडीगढ़ में मंचित हुआ शांति स्वरुप उनियाल द्वारा लिखित स्त्री वीरता विषयी 'विधवा ब्योली' नाटक का प्रकाशन १९८० में हुआ व मंचन भी हुआ शारदा नेगी द्वारा लिखित शाहुकारी विरुद्ध नाटक ' चक्रचाळ ' मंचित हुआ. मदन बल्लभ डोभाल लिखित नाटक 'खबेस' अनेक विशो को उठाने वाला नाटक दिल्ली में मंचित हुआ चंडीगढ़ में मंचित , १९८१ डी.डी. सुंदरियाल लिखित 'दानु दिवता बुडू केदार' दो सखियों के टकराव कि कहानी दर्शाती है प्रसिद्ध लोक कथा 'तैड़ी तिलोगी ' पर आधरित सुंदरियाल द्वारा रूपांतरित 'धौळि का आंसू ' १९८०-१९८३ के बीच ५-६ बार चण्डीगढ पंजाब में मंचित हुआ पंजाब में अस्सी के दशक में एन.डी. लखेड़ा लिखित नाटक 'जग्वाळ ' (अंध विश्वास विरोधी) व 'आस निरास' (संयुक्त परिवारों का टूटना ) ; डी.डी. सुंदरियाल लिखित 'रत व्योणा'(विधवा विवाह समर्थन ), 'सरगा दिदा पाणि पाणि' (ग्रामीण भ्रस्टाचार) व तीलु रौतेली (लोक गाथा), 'जथगा डाड डाड' (सड़ी गली शिक्षा विरोध) और बलवंत रावत लिखित 'अर सपना सच ह्व़े ग्याई' नाटक पंजाब में मंचित हुए. सचिदानंद कांडपाल द्वारा लिखित नाटक ' मीतु रौत '(1982) जो चंडीगढ़ में मंचित भी हुआ एक वीर रस युक्त ऐतिहासिक व लोक कथा आधारित नाटक है मोहन सिंह बिष्ट द्वारा रचित अपसंस्कृति व दहेज़ कुप्रथा के रोग आधारित 'औडळ' (१९८२) नाटक दिल्ली में मंचित हुआ चन्द्र शेखर नैथाणी लिखित विकलांग समस्या का नाटक ' मांगण ' १९८२ में दिल्ली में मंचित हुआ कन्हया लाल डंडरियाल का दहेज़ पर चोट करता 'स्वयंबर' नाटक १९८३ में दिल्ली में मंचित हुआ ब्रज लाल शाह द्वारा रचित 'महाभारत' नृत्य नाटिका १९८४ में दिल्ली में मंचित हुआ ब्रज मोहन कबटियाल ने १९८५ से पहले 'वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली', 'गंगू रमोला' 'जीतु बगड्वाल', 'बीर बाला तीलु रौतेला', 'ओड का झगड़ा' , व 'अनपढ़' जैसे ऐतिहासिक व सामाजिक विषयी नाटक लिखे व कोटद्वार में मंचित भी किये. पाराषर गौड़ द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक औंसी की रात से महिला नाटी कर्मी कलाकार बनना शुरू हुआ पाराशर गौड़ द्वारा लिखित प्रायोगिक नाटक 'आन्दोलन' उत्तराखंड राज्य संघर्ष पर लिखा नाटक है जो १९८०-१९८५ के बीच मंचित हुआ . गौड़ का 'रिहर्सल' नाटक एक रोमांचकारी नाटक है जो मंचित हुआ है; प्रेम लाल भट्ट का जातीय संघर्ष का 'खबेस लग्युं च रे खबेश' (१९८५) नाटक दिल्ली में मंचित हुआ अबोध बन्धु बहुगुणा लिखित (सभी नाटक १९८६ में चक्रचाळ संकलित ) में 'अंद्र ताल' नाटक प्रवासी गढ़वालियों के करूँ कथा बखान करता है , बहुगुणा द्वारा ऐतिहासिक नाटक 'अंतिम गढ़'; गढ़वाल सभा देहरादून द्वारा मंचित हुआ. बहुगुणा लिखित 'चक्रचाळ' एक रेडिओ नाटक है; दुघर्या में विधवा पुर्नार्विवाह समर्थन है; 'फरक '. जात पांत विरोधी, 'जीतू हरण' लोक गाथा आधारित पद्य-गद्य नाटिका; 'जोड़ घटाणो ' प्रवासियों के आत्मिक व भौतिक संघर्ष आधारित; 'कचबिटाळ' प्रवासी व वासी गढ़वालियों मध्य अन्तराल, 'काठे बिराळी ' (प्रवाशियो कि समस्या प्रधान ) ; 'किरायेदार' (खोय पाया विषय) ; कुलंगार (कुत्सित प्रवृतियों पर चोट ) ; माई को लाल (श्री देव सुमन बलिदान) , नाग मयूर (ऐतिहासिक); नौछमी नारायण (कृष्ण के नौ रूप); सृष्ठी संभव (दार्शनिक ); 'तिलपातर' ( बदलाव) नाटक संकलित हैं ब्रजेन्द्र लाल शाह द्वारा लिखित नाटक 'जीतू बगडवाल' १९८६ में दिल्ली में मंचित हुआ प्रेम लाल भट्ट द्वारा लिखित पारिवारिक नाटक ' बडी ब्वारी' दिल्ली में मंचित हुआ. १९८७ में पुरुषोत्तम डोभाल कृत 'टिल्लू रौतेली' नाटक प्रकाश में आया १९८६-८७ में कुसुम नौटियाल द्वारा लिखित , लोक कथा आधरित 'लिंडर्या छ्वारा' नाटक मंचित हुआ हरीश थपलियाल द्वारा लिखित व निर्देशित पलायन विभीषिका विषय का नाटक 'हौळ कु लगाल (१९८७) व हास्य-व्यंग्य युक्त नाटक मेरी पैलि चोरी (१९८९) भरा नाटक 'मुंबई में मंचित हुए . दिनेश भारद्वाज व रमण कुकरेती द्वारा लिखित हास्य व्यंग्यात्मक नाटक ' बुड्या लापता' १९८५- ८७ के बीच मुंबई में मंचित हुआ कुकरेती द्वारा लिखित 'द्वी पळया' (गढ़ ऐना, १९८९) नाटक सुनने व असलियत में भेद बताता प्रेरणात्मक नाटक है गोविन्द कपरीयाल द्वारा लिखित अंध विश्वासों पर चोट करता नाटक ' मेरो नाती' (१९८९) गैरसैण में मंचित हुआ. ललित केशवान द्वारा लिखित ऐतिहासिक नाटक ' हरि हिंदवाण ' १९८९ में मंचित हुआ दिनेश भारद्वाज द्वारा लिखित लोक गाथा आधारित गीत नाटक 'तिल्लु रौतेली' मुंबई में १९८९ में मंचित हुआ जगदीश रावत ने दिल्ली में घात नाटक १९८९ में प्रदर्शित किया इनके "छुयांल, एकुलांश, नै जमानु, मेरी मति मर्यायी नाटक अप्रकाशित हैं। भीष्म कुकरेती द्वारा लिखित राजनैतिक व्यंग्यात्मक नाटक 'बखरौं ग्वेर स्याळ' रंत रैबार (२००५) में प्रकाशित हुआ भगवती प्रसाद मिश्र द्वारा लिखित धार्मिक नाटक 'बाल नारायण' गढ़ ऐना में मई , १९९० में प्रकाशित हुआ. गढ़ ऐना के मई, १९९० , अंकों में नागेन्द्र बहुगुणा द्वारा लिखित स्थानीय शराब माफिया की पोल खोलता 'चंदन' नाटक प्रकाशित हुआ मुंबई में सोनू पंवार द्वारा लिखित निर्देशित नाटक ' बख्त्वार बाड़ा ' १९८९- १९९० के करीब मंचित हुआ . प्रेम लाल भट्ट लिखित, गरीबी व ऋण विषयी नाटक 'नथुली' १९९० में मंचित हुआ धाद (जन. १९९१) में डा. नरेंद्र गौनियाल का शराब विरोधी नाटक 'शराबी' प्रकाशित हुआ . राजेन्द्र धष्माना द्वारा मराठी नाटक का रूपान्तर 'पैसा ना ध्यला नाम च गुमान सिंग रौतेला ' का मंचन दिल्ली में १९९२ में हुआ. सन १९९० से २००० तक काँता प्रसाद गढ़वाली व बलराज नेगी ने पांच-छाई नाटक मुंबई में किये १९९२ में मंचित व ओम प्रकाश सेमवाल लिखित 'गरीबी' (१९९२) नाटक जो चाहो वही पाओ विषय युवाओं के लिए प्रेरणात्मक नाटक है वहीं 'दैजू' (१९९५ में मंचित ) नाटक दहेज प्रथा को नकारने वाला नाटक है.ओम प्रकाश सेमवाल का नशा विरोधी नाटक 'नशा '१९९३ में मंचित हुआ कुला नन्द घनशाला द्वारा लिखित मनिखी बाग़ (१९९३) प्रशाश्कीय लाल फीताशाही , भ्रष्ट तन्त्र पर चोट करता नाटक है सुरेन्द्र बलोदी द्वारा लिखित व मंचित (१९९४) नाटक ' सुरमा' स्त्री उत्पीडन व त्रास पर आधारित नाटक है व शराब माफिया विरोधनी टिंचरि बाई पर आधारित बलोदी का नाटक ' ब्व़े तु फिर ऐ' १९९५ में मंचित हुआ . स्वरुप ढौंडियाल लिखित 'मंगतू बौळया' (१९९३) ग्रामीण आर्थिक दशा दरशाता असलियतवादी नाटक है मनोज इष्टवाल अनुसार पौड़ी में तीलू तड़ियाली नाटक मंचन हुआ लगभग 1990 में शराब की बुराईयों पर आधारित , ओम प्रकाश सेमवाल द्वारा लिखित नाटक ' ब्यौ' १९९५ में मंचित हुआ. ओम प्रकाश सेमवाल द्वारा लिखित, ज़ात पांत व्यवस्था पर चोट करता नाटक 'भात' १९९६ में मंचित हुआ. पर्यावरण वचत में वन जानवरों को बचाने व वन आग रोकने पर आधारित सेमवाल का नाटक ' कखि लगीं आग अर कखि लग्युं बाग़' १९९७ में मंचित हुआ. सेमवाल द्वारा पुत्र जन्म को महत्व व व पुत्री जनम को महत्वहीन की मान्यता पर आधारित नाटक 'पुत्रजन्म और नामकरण' १९९७ में मंचित हुआ . ओम प्रकाश सेमवाल लिखित सामाजिक नाटक 'दगड़ी' १९९८ में मंचित हुआ. वन संरक्षण पर आधारित कुला नन्द घनशाला लिखित नाटक 'रामू पतरोल' १९९८ में मंचित हुआ. ओम प्रकाश सेमवाल लिखित , अपने ही रिश्तेदारों का दोहन विषयक 'नौकरी' नाटक १९९९ में मंचित हुआ. भारतीय शिक्षा के गिरते स्तर को उजागर करता घनशाला लिखित नाटक कंप्लेंट (२००० ) में छपा. पागल (ओम प्रकाश सेमवाल, २०००) अंधविश्वास पर चोट करता मंचित, नाटक है. डा. डी.आर. पुरोहित, सचिदा नन्द कांडपाल व कृष्णा नन्द नौटियाल लिखित 'चक्रव्यूह ' (२००१) नाटक महाभारत कथा पर आधारित नाटक है जो कि कई बार मंचित हो चुका ओम प्रकाश सेमवाल लिखित चुनावी धांधली आधारित 'चुनाव नाटक २००१ में मंचित हुआ २००१ में डा. डी.आर . पुरोहित लिखित ऐतिहासक नाटक 'पाँच भै कठैत ' मंचित हुआ . डा. पुरोहित द्वारा लिखित ' व मंचित 'नंदा देवी जातरा (२००२), एक्लू बटोही (२००४) , इलेक्सन में कृष्ण '(२००८) , 'गांधी बुड्या आइ (२००९), गीत औफ़ गुटका ईटर (२००९), रूपकुंड (नेशनल जिओग्राफी हेतु) नाटक प्रसिद्ध हुए हैं ओम प्रकाश सेमवाल का बाल शिक्षा सुधार आधारित नाटक 'धौंस' २००२ में मंचित हुआ. कुला नन्द घनशाला द्वारा लिखित गढ़वाली नाटक 'सुनपट्ट' (२००२) एक हास्य व्यंग्य नाटक है गढ़वाल में स्वास्थ्य सेवाओं की बिगडती दशा को दर्शाता कुला नन्द घनसाला लिखित नाटक 'डाक्टर साब' २००४ में प्रकाशित हुआ. महावीर सिंग का नाटक 'मुरख्या बुड्या' (२००४) एक हास्य व्यंग्यात्मक नाटक मुंबई में मंचित हुआ नन्द लाल भारती टीम रचित 'पांडव गाथा ' जौंलसारी भाषा का नाटक २००५ में देहरादून में मंचित हुआ २००५ में ओम बधानी लिखित लोक गाथा नायकों -बीर भड़ नरु और बिजुला आधारित गीतेय नाटक 'डांड्यू क मैती' देहरादून में मंचित हुआ. २००५ में नवांकुर नाट्य समूह पौड़ी द्वारा रचित व भूपनेश कुमार द्वारा निर्देशित वीर गाथा आधारित नाटक 'वीर बधू देवकी' का मंचन देहरादून में हुआ दिल्ली में दिनेश बिजल्वाण लिखित दो नाटक 'पल्टनेर चन्द्र सिंग' (२००५) व 'कैकु ब्यौ कैकु क्यौ' मंचित हो चुके हैं व 'रुमेलो' (शेक्शपियर के ओथेलो का रूपान्तर ) व 'तिल्लू रौतेली' अप्रकाशित पड़े हैं मनु ढौंडियाल व हरीश बडोला लिखित 'गंगावतरण' धार्मिक आख्यानो व पर्यावरण विषयक नाटक २००७ में मंचित हुआ डा. डी. आर. पुरोहित लिखित 'बूढ़ देवा' ,२००७ में मंचित नाटक एक मास्क लोक नाट्य रूपांतरित नाटक है प्रमोद रावत द्वारा रचित 'तिलाड़ी एक बिसरीं याद' नाटक का २००७ में मंचन हुआ दिनेश गुसाईं एवं सहयोगियों द्वारा 'गंगू रमोला' धार्मिक गाथा पर आधारित नाटक २००७ में देहरादून में मंचित हुआ. ओम बधानी द्वारा लिखित वीर भड़ विषयी गीत -गद्य नाटक 'राणा घमेरू' का मंचन २००७ में देहरादून में हुआ भाई बहिन के प्रेम पर लोक कथा आधारित, अरविन्द नेगी द्वारा लिखित व मंचित 'अम्बा बैनोळ' (२००८) गढ़वाली नाटक है. 'छत्रभंग' शाक्त ध्यानी द्वारा रचित राजनैतिक व्यंग्यात्मक व गढ़वाली का प्रथम प्रतीतात्मक नाटक २००९ में मंचित हुआ. कुला नन्द घनशाला द्वारा रचित व मंचित 'चिंता' (२०११) राजनैतिक खेलों पर करारा व्यंग्यात्मक नाटक है .कुलानन्द घनसाला रचित नाटक 'अब क्या होलु' उत्तराखंड राज्य आन्दोलन विषयक नाटक है ; 'क्या कन तब 'हास्य व्यंग्य मिश्रित नाटक व फिल्म में शक की बुराईयाँ दिखाई गयी है; गिरीश सुंदरियाल कृत नाटक संकलन 'असगार ' २०११ में प्रकाशित हुआ जिसमे 'ऐली मेरी पौड़ी ' (२०११) सरकारी दफ्तरों में लाल फीताशाही पर कटाक्ष करता व्यंग्यात्मक नाटक है; 'भर्ती' बेरोजगारी व युवा समस्या विषयक नाटक है; 'पाँच साल बाद' एक राजनैतिक प्रहसन नाटक है; 'शिल्यानाश' एक प्रेरणादायक नाटक है ; असगार पलायन कि विभीषिका बताता नाटक है . ललित केशवान द्वारा संकलित नाट्य संग्रह (२०११) में 'भस्मासुर' पुराण विषयी नाटक है;'एक मंथरा हैंकि' शराब विरोधी नाटक है; 'जय बद्रीनारायण' धार्मिक; 'खेल ख़तम' भू माफिया व भू-चोरो पर आधारित ; 'लालसा' .एक सामजिक , मुंबई में बलदेव राणा का गीत गद्य नाटक 'माधो सिंग भंडारी ' कई बार मंचित हो चुका है , बलदेव राणा ने दस के करीब नाटक मंचित किये हैं इनमे से नंदा ज़ात यात्रा (२००९ से प्रति वर्ष) एक अभिनव प्रयोग माना जाएगा. इसी तरह मुंबई में कुंदन सिंग नेगी ने भी कि पर्वतीय नाट्य मंच (१९८६ से अब तक) के लिए नाटक लिखे उनमे से 'लाटो ब्यौ' और मामा बाबु खूब सराहे गये. श्रीनगर व अन्य स्थानों में मंचित 'जयद्रथ वध' भी अपने आप में एक प्रख्यात नाटक है डा. नन्द किशोर हटवाल के दो नाटक मंचित हुए हैं गिरधर रावत द्वारा तुड़मतुड़ा व द्वी चकड़ैत मंचित हो चुके हैं धीरज नेगी का जैसिंघ काका नाटक मंचित हुआ है। सुशीला रावत द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक - रानी कर्णावती व पुरोधा पुरिया नैथानी हैं जगदीश रावत क का घात नाटक मंचित हो चूका है व दो नाटक यकूलास व छूंयल मंचित होने शेष हैं। Garhwali dramas by other dramatists This author received the information of other than above dramatist creating following Garhwali dramas- Other dramas by Dr.D.R.Purohit – Nanda Devi Rajjat, Eklu Batoi, Election m Krishna, Gandhi Budya, Geet ouf Gutak eater , Rupkund, Buddeva Dramas by Jay Prakash Bisht – Sooni Tibari Dramas by Harish Juyal Kutz – Kaljugi Devta Dramas by Jagat Singh Rawat –Rangyun Bakhru Dramas by Vijay Vashishth – Basudhara Dramas by Darban Singh Pundir – Jitu Bagdwal Dramas by Kamal Rawat –Deval Garh, Teeka Salim , Bol Bhavari Bol Dramas by Shailendra Tiwari -Sadhunam Kshetrapal Kunvar, Bagudi Bagdwal, Sumari ku panthay Dada, Chakra Sankatbyu , Ranu raut Dramas by Jageshwar Joshi – Hay Yanu Safar, Andolan Shuru, Jankjod, Pwan Pwan Dramas by Krishna Nand Nautiyal – Kmal Byu Dramas by Sushila Rawat – Rani Karnavati Dramas by Ansuya Prasad Dangwal – Udadi Panchhi Jhadda Pat, Dwaro Charitar Dramas by Dr. Asha Rawat – A drama collection ‘ Hamaru Ganv Hosiyarkhal having Akal Bari ki Bhains, Ab ham Lata ni Chhaun , Pachhti ki Rat, Sury As tar pahar Mast , dramas Daryan bal Buran tai dekhi, Natkhat ko Ni, Raibar, Chup Chup Chufa, Anyad, mada , Bhandya Khai Nak Mukhai Rasta Bhair And, He Motot parmeshura, Hamru ganv Hosiyarkhal dramas. Dramas by Kanta ghildiyal – Drupada ki Laj Dramas by Vasundhara Negi – Teelu Rauteli, 16 duni 8, Dwi Bachan, Chhuyi Bat, Bwe ku karj, Badaru Padhan ji , Andhyaru Hwe ge , Dramas by Dharmendra Negi – Karni ku fal Ramesh Chandra Ghildiyal – Gweeralai Kandi , Lampat Sab Dramas by Mukesh Barthwal – Pujai, Ghangtol, Chup rawa ji , Foon, Chamtkar अनूदित नाटक भीष्म कुकरेती ने तीन गढ़वाली नाटकों का अंग्रेजी में अनुवाद किया - खाडू लापता एकीकरण बखरों ग्वेर स्याळ विदेशी भाषाओँ नाटकों का गढ़वाली में अनुवाद भीष्म कुकरेती ने निम्न विदेशी भाषाओँ नाटकों का गढ़वाली में अनुवाद किया भगवान से सौदेबाजी ------------------जेफ़ गोइबल--------------------------भीष्म कुकरेती -5 पेज ढाबा मा एक रात----------------------लौर्ड डुनसानी-----------------------भीष्म कुकरेती --13 ट्रेन मा मौत --------------------------डी . ऍम . लारसन--------------------भीष्म कुकरेती ए लाल रंग कब मुझे भायेगा ------------------ ------------भीष्म कुकरेती - 72 कातिल तकिया ------------------------------- ------------भीष्म कुकरेती --120 भगवान की जग्वाळ (First Absurd Play ) ---- -----------भीष्म कुकरेती ------120 गोलाकार गोलघेरा मा परिवर्तन ----------------------------------भीष्म कुकरेती --130 ओथेलो --------------------------------------------विलियम शेक्सपियर --------भीष्म कुकरेती जूलियस सीजर ---------------------------------विलियम शेक्सपियर ----------भीष्म कुकरेती मर्चेंट ऑफ वेनिस -----------------------------विलियम शेक्सपियर -----------भीष्म कुकरेती निम्न विदेशी भाषाओँ के नाटक अनुवाद Email से मिल सकते हैं हत्या करणो प्रतीक्षा-------------------------------------------------------------भीष्म कुकरेती सांप की कथा-----------रुसी नाटक ------------------------------------- भीष्म कुकरेती रक्तरंजित रंजीता -----------------------------------------------------------भीष्म कुकरेती यहां कोई ज़िंदा नहीं बचेगा [इख कैन ज़िंदा नि बचण - एक प्रसिद्ध फिल्म का गढ़वाली अनुवाद - भीष्म कुकरेती मुखाभेंट (इंटरव्यू ) एक फ्रेंच भाषा कु नाटक- ------------भीष्म कुकरेती क्रान्ति की धाद - रुसी - लिओनिड आंद्रेयेव------------------------ भीष्म कुकरेती 10 बौ सुरीला का चार पति ---- लौरा एम . विलियम्स------------- भीष्म कुकरेती गीत गाया पत्थरों ने ----- बर्नाड शा का नाटक---------------- भीष्म कुकरेती आज रैबार आलु क्या ?---------------------------------------------- भीष्म कुकरेती आखरी खाणो डब्बा -- डी . एम . लारसन-------------------- भीष्म कुकरेती फोर्टीन ---ऐलिस गरस्टेनबर्ग (1921 )------------------------------ भीष्म कुकरेती आगे भी नही, पीछे भी नही---- (फ्रांससी नाटक )------------------- कुकरेती मि मृत औरत से भौत प्यार करदु-------------------------------- भीष्म कुकरेती