राम तक पहुंचने के साधन हैं हनुमान : डा. अपूर्वा अवस्थी
लखनऊ। लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा आयोजित लोक चौपाल में वक्ताओं ने जेठ मास में हनुमत आराधन परम्परा पर चर्चा की। चौपाल चौधरी प्रो. कमला श्रीवास्तव की अध्यक्षता में रविवार को आनलाइन हुए आयोजन में जहां लोगों ने अपनी बात रखी, वहीं सियाराम और हनुमान भजनों की मनभावन प्रस्तुति भी हुई। चित्रकार रेनू पाण्डेय ने मधुबनी शैली में तथा ललिता पाण्डेय ने मुक्त शैली में हनुमान जी के दिव्य रुप को उकेरा। कार्यक्रम की शुरुआत साहित्यकार डा. सुरभि सिंह ने विषय प्रवर्तन के साथ किया। नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्रवक्ता और कन्नौजी साहित्यकार डा. अपूर्वा अवस्थी ने हनुमत आराधन को राम तक पहुंचने का साधन बताया। उन्होंने लखनऊ में दीर्घ काल से चली आ रही जेठ मास के मंगल को हनुमान जी की आराधना, सुंदरकांड पाठ, भंडारा और ठंडा पानी पिलाने की व्यवस्था के बारे में चर्चा की। इतिहासकार डा. संगीता शुक्ला, जोधपुर की सरिता श्रीवास्तव, वरिष्ठ कलाकार रेखा मिश्रा आदि ने भी अपने विचार रखे। लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने बताया कि चौपाल में भजनों पर आधारित प्रस्तुतियां भी हुईं जिसमें शकुन्तला श्रीवास्तव ने महावीर मुन्दरिया कहां पायो, लोक गायिका अंजलि सिंह ने जय जय श्री हनुमान जी, अपर्णा सिंह ने तुम्हारा नाम बड़ा बजरंग बली, शक्ति श्रीवास्तव ने राम नाम सोहि जानिए, प्रियंका दीक्षित ने राम धन्य नाम है, अल्पना श्रीवास्तव ने मेरे हृदय के धाम में कौशल किशोर आये हैं, नवनीता जफा ने राम पतित पावन करुणाकर और सदा सुखदायी, सुषमा प्रकाश ने भरत भाई कपि से उऋण हम नाहीं, सुनीता श्रीवास्तव ने कौशल्या दशरथ के नन्दन राम ललाट पर शोभित चन्दन, पल्लवी निगम ने मोहे नीको नीको सरयू जी को पानी लागे, सरिता अग्रवाल ने कहां के चित्रकूट के घाट घाट पर शबरी देखे बाट राम मेरे आ जाओ, रेखा मिश्रा ने गूंजे सदा जयकार बाबा तेरे भुवन मा, कविता सिंह ने हे पहना इहवें मिथिले में रहवे ना, अर्चना दीक्षित ने कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना सुनाया। शिखा श्रीवास्तव, डा. एस.के.गोपाल आदि की प्रमुख उपस्थिति रही।