चले गए गजलकार सुरेश सपन
• हिंदी साहित्य का लाडला बीते कुछ दिनों चल रहा था बीमार
• 'तल में हलचल जारी है' सुरेश सपन का था प्रसिद्ध गजल संग्रह
सहारनपुर हिन्दी के प्रख्यात गजलकार सुरेश सपन का क्षेत्र 76 वर्ष की आयु में मंगलवार सुबह निधन हो गया। सुरेश सपन पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। उनका अंतिम संस्कार हकीकत नगर स्थित श्मशान घाट पर किया गया। मुखाग्नि उनके पुत्र पवन वर्मा ने दी। वह अपने पीछे एक पुत्र और पुत्री छोड़ गए हैं। सुरेश सपन ने हिंदी गजल के अलावा गीत, कविता, व्यंग्य और बाल गीत विधा में भी सृजन किया। 'तल में हलचल जारी है' उनका प्रसिद्ध गजल संग्रह है। लेकिन श्री रामकथा को दोहावली लिखने पर वह देश भर में जाने गए। देशभर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनके गीत, गजल, बाल गीत आदि प्रकाशित होने के अलावा समय-समय पर आकाशवाणी से भी उनकी रचनाओं का प्रसारण हुआ। अनेक संकलनों में भी उनकी रचनाएं सम्मलित हैं। वह करीब दो दशक तक साहित्यिक संस्था 'समन्वय' के सचिव तथा 'विभावरी' के आजीवन सदस्य रहे सतत रचनाशीलता के माध्यम से साहित्य में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें 'सृजन सम्मान' सहित देशभर में दर्जनों सम्मानों से नवाजा गया। उनकी अंतिम यात्रा में रुड़की से आए साहित्यकार कृष्ण सुकुमार, एसके सैनी, घनश्याम बादल के अलावा डॉ. वीरेन्द्र आजम, डॉ. आरपी सारस्वत, डॉ. विजेंद्रपाल शर्मा, हरीराम पथिक, विनोद भृंग, शिव कुमार गौड़, डॉ. ओपी गौड़, पीएन मधुकर, राजीव उपाध्याय तथा शिक्षाविद् डॉ. दिनेश शर्मा, रंगकर्मी जावेद सरोहा, जितेंद्र तायल, संदीप शर्मा, केके गर्ग, योगेश पंवार, प्रशांत राजन के अलावा बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे।