मृदुल : जैसा मैंने जाना.......
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प्रवीर चन्द्र अग्रवाल
हर किसी का एक नाम होता है पुकारने का..... वह पहचान हो जाता है पर कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके नाम उनके व्यक्तित्व को परिभाषित करते हैं या यूँ कहिए नाम को वह पूरी तरह से जीते हैं। ऐसे लोगों से आप मिल लें और नाम न बताया जाए तो भी आपको नाम अपने आप पता चल जाएगा..कि हाँ नाम तो यही होना चाहिए.......कुछ ऐसा ही इस व्यक्तित्व पर फिट बैठता है।......एक ऐसे ही व्यक्ति से मेरी मुलाकात होती है पिछले साल. .छरहरे बदन का एक शख्स. .लम्बी काया. .सौम्य. नहीं.. नहीं. सौम्यता की मूर्ति.. . पढ़ने की मेरी कोशिश........पर वो आध्यात्म को ढूँढता हुआ.... ढूंढना आध्यात्म को कि क्या रखा अब तुम्हारे सिवा यहाँ... क्योंकि वह जिसको सब कुछ मानता था.. .जो उसकी आराधना थी... उसकी राधा थी....वह उसके साथ नहीं थी अब..एक वर्ष पूर्व छूट चुका पर यादों से कौन .बेइंतहा प्यार करने वाला वह व्यक्ति बनारस पहुँच जाता है.
सुमिता की 2008 की कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए चित्र, जिसे उन्होंने हिमालय में 300 किलोमीटर से अधिक की पैदल यात्रा की थी।
.सुमिता की विशेषताओं के बारे में बात करना..सुमिता की आध्यात्मिकता के बारे में.. . सुमिता की और सचमुच, जब फोटो देखा मैंने तो लगा हाँ.. ..वही पवित्रता और उतनी ही सौम्यता की मूर्ति. ..कोई याद न.बरबस यादों में खोया रहने वाला वह शख्स एक विदेश सेवा में नाम न बतायें तो भी आप मिलेंगे.. ..तो जानते हैं क्या कहेंगे.हॉ..वह लबरेज.. सब कुछ देखकर आपको लगने लगेगा कि हाँ बहुत ही अच्छा स्वभाव, मृदुल स्वभाव. . उत्तम सोच और उतना ही सौम्य है........तो इसी से मिलता-जुलता कोई नाम रखेंगे...शायद मृदुल नाम दें आप.. .. अगर नाम रखने की जरूरत पड़े तो..तो है न वह मृदुल जो नाम उसे बचपन में मिल गया.. उसने उसे जीया है..... चरितार्थ किया बात आप भी जो नाम देते उन्हें उस "मृदुल" की ही कर रहा हूँ.. ..वही मृदुल जो सेवा में लगा रहता है अपनी नौकरी में तो खोया रहता है देश के लिए और घर में एकान्त में....अपनी संगिनी की यादों में.मृदुल आध्यात्मिकता को जीने वाला. . देशभक्ति से एक और रंग हैं...रंगों से दुनिया को अभिव्यक्त करने वाला मृदुल..रंगों से उकेरने वाला वह शिव भक्त भी है..........शिव के अनेक रूपों को ब्रश ने अभिव्यक्ति दी. . उसने जब भी ब्रश को छुआ तो और न जाने क्या-क्या निखर पड़ा. .चलिए, आज कई रूपों के उस शख्स के एक कलाकार मन को देखते हैं.. उनके बनाये कुछ चित्रों को प्रस्तुत करते हैं। इस अंक में आप भी देखिए शिव में डूबे उस शख्स को. रंग बिखेरते "मृदुल" को..
सुमिता के राधा कृष्ण के बीच शुद्ध ईश्वर प्रेम। भगवान कृष्ण अपने बाल गोपाल रूप में सुमिता के सबसे आराध्य भगवान हैं।
मृदुल को रंगो`का जब साथ मिला.....
दिन रात की सोच ने.. सितंबर 2021 से खत्म कर दिया था... दिन-रात के भेद को ही।..... भावनाएं घुमड़ती तो थी`... पर जड़वत।....सुमिता की यादों में डूबा था घर का हर कोना। ...मैं निकलना भी नहीं चाहता उनसे.... क्यों निकलूं....कि नहीं रही.…. कैसे मान लूं ....नहीं है.... सिर्फ ना देखने से.....फिर तो भगवान भी नहीं है°..... कहां दिखते हैं??... तभी लगा की भावनाएं मन में ही क्यों?...चलो ना आकार देते हैं....और उठा लिया..... ब्रश.... हां....2022 जुलाई का महीना था..... अब... ब्रश है..... सामने है सुमिता.... पूजा करती हुई.... शिव में डूबी हुई.... बैठी हुई.... मुझे अपलक निहारती हुई.... मुझसे बतियाती हुई... आपने कुछ सुना??...नही न...... मृदुल कला के अपने काम के माध्यम से सुमिता की छवि को फिर से बनाने की आशा करते हैं कहते हैं, मेरी क्षमताएं अपर्याप्त हैं और मेरा काम एकदम सही nahi है क्योंकि मैं उसे याद रखने के लिए उसकी छवि को जीवंत करने के लिए हर रचना के साथ इसे बेहतर बनाने का प्रयास करता हूं।....प्रभु तुमने उसे असमय उठा लिया.... और मैंने उठा लिया है ब्रश.... तो ब्रश का सफर जारी है....सफर जारी रहेगा.... मेरी सुमिता के लिए...
श्रद्धा पूर्ण शिव की भक्ति में डूबी मेरे मन में सुमिता की कभी ना भूलने वाली छवि