वाराणसी| अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के अवसर पर मानवाधिकार जननिगरानी समिति, सावित्री बाई फुले महिला पंचायत, जनमित्र न्यास,यूनाइटेडनेशन वोलंटरी ट्रस्ट फण्ड और इंटरनेशनल रिहैबिलिटेशन कौंसिल फॉर टार्चर विक्टिम के संयुक्त तत्वाधान में यातना और हिंसा पीड़ित महिलाओ का सम्मान समारोह “नो- यूनाइट टू एंड वायलेंस अगेंस्ट वीमेन (Say No – Unite to End Violence against Women)” का आयोजन किया गया|
कार्यक्रम कि शुरुआत में आज के दिवस की महता के बारे में चर्चा करते हुये सावित्रीबाई फुले महिला पंचायत कि संयोजिका और मानवाधिकार जननिगरानी समिति की मैनेजिंग ट्रस्टी सुश्री श्रुति नागवंशी ने कहा कि आज से पूरी दुनियामें 16 दिन तक लगातार संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए यूनाइट अभियान चलाया जा रहा है| लेकिन अभी भी समानता और महिलाओ के लिए हिंसा मुक्त भविष्य बनाने के लिए अभी और भी प्रयास किये जाने की आवश्यकता है|
उन्होंने आगे कहा कि अभी भी महिलाओ के विरुद्ध हिंसा देश की क़ानूनी और सामाजिक सेवाओ पर अनावश्यक भार पड़ता है और साथ ही साथ उत्पादकता की भरी क्षति होती है| यह एक ऐसी महामारी है जो जान लेती है, प्रताड़ित करती है और विकलांग बनाती है – शारीरिक, मानसिक लैंगिक और आर्थिक रूपों में| यह मानवाधिकार का सर्वाधिक उलंघन करने वाली सामाजिक बुराई है| यह स्त्री की समानता, सुरक्षा, गरिमा, आत्मसम्मान और मौलिक अधिकारों को ख़ारिज करती है| इसके साथ ही उन्होंने घरेलु हिंसा अधिनियम 2005 के बारेमे जानकारी दी|
इसके पश्चात यातना और हिंसा से पीड़ित महिलाओ को मनोसामाजिक संबल के टेस्टीमोनियल थेरेपी के तीसरे चरण के अंतर्गत उनकी संघर्ष गाथा को मनो-सामजिक कार्यकर्ता सुश्री छाया कुमारी और फरहत शबा खानम द्वारा पढ़ागया|उनके संघर्षो की हौसला अफज़ाई करने के लिये उन्हें शाल और टेस्टीमनी देकर संघर्षरत पीड़िता आरती सेठ, अज़ीमा, अनीता कश्य, सुशीला, मंजू, पुष्पा देवी, नैंसी जैसवाल, प्रतिमा नाजमा को सम्मानित किया गया|
संस्था यह मानती है महिलाओ का कोख़ से लेकर मृत्यु तक पूरा जीवन चक्र मानवाधिकार के उलंघन का शिकार होता है| इसके लिए वह हर तरह के हिंसा से प्रताड़ित महिला को मनोसामजिक संबल,विभिन्न हितधारको के साथ हस्तक्षेप करती है| सम्मानित होने वालो में अधिकतर मामले घरेलु हिंसा, पुलिसिया उत्पीड़न के साथ – साथ संस्थागत निष्क्रियता के मामले थे|
कार्यक्रम के आगे बढ़ाते हुये मानवाधिकार जननिगरानी समिति की कार्यक्रम निदेशक सुश्री शिरीन शबाना खान ने सरकार द्वारा जारी किये गए हेल्पलाइन नंबर और सरकारी सेवायोजन संस्थाओ के बारे में जानकारी दी| उन्होंने बताया की चुप्पी भी एक तरह की समस्या है| जिसके वजह से महिलाये हमेशा मानसिक दबाव में रहकर खुद को अकेली, असहाय और बेचारी समझकर हिंसा युक्त स्थिति को अपना भाग्य समझकर अंगीकार कर लेती है|इसके लिए उनकी चुप्पी को तोड़कर उनको सुनना बहुत जरुरी है|
मानवाधिकार जननिगरानी समिति युवको के साथ लगातार चर्चा व कार्यशाला के माध्यम से उनका परिपेक्ष निर्माण रही है| जिससे अधिक से अधिक रिस्पोंसिबल (responsible) युवक को तैयार किया जा सके| जिससे कुछ सालो में हम महिलाओ से लिए एक सुरक्षित और हिंसा मुक्त समाज बना सके| वही संस्था के कई साथी कार्यकर्ता और किशोरी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाये गए कार्यक्रम मिशन शक्ति में जिलाधिकारी वाराणसी से बात- चीत में अपनी भागीदारी किया गया| कार्यक्रम के शुरआत में सभी पीड़ितो को मास्क और उनको बॉडी टेम्परेचर मापा गया और अंत में उनको हैण्ड वाशिंग भी सिखाया गया|