कैसी तासीर है हवाओं में !
लोग शामिल हुये गुनाहों में !
क़त्ल इंसानियत का जो करते !
उनकी गिनती है परसाओं में !
रब ने बख़्शा है वो असर लोगो !
मुफ़लिसों-बे-कशों की आहों में !
यार कश्ती डुबोने वाला तो !
कोई शामिल है ना-ख़ुदाओं में !
जिसके आने से बे-ख़ुदी छाये !
वो असर अब कहाँ बलाओं में !
उनके आने से ये चमन महका !
आई रंगत है इन फ़ज़ाओं में !
दिल की नज़रों से मैंने देखा तो !
वो नज़र आया हर दिशाओँ में !
नाम तेरा "कशिश" के दिल में है !
तू ही धड़कन की है सदाओं में !
कैसी तासीर है हवाओं में !