संघर्षों की मैंने कहानी लिखी,
एक सजती हुई जिंदगानी लिखी,
पूछता जब कोई हार होती है क्या?
फिर उठाई कलम और जवानी लिखी।
संघर्षों की मैंने................
सारी दुनिया को मन में समेटे हुए,
खुद को गम और खुशी से लपेटे हुए,
जिसमें कांटे भी बो दो तो उगते नही,
उसी बंजर धरा की वीरानी लिखी।
संघर्षों की मैंने................
रोशनी को अंधेरों में लेकर चला,
सूर्य बन ना सका दीप सा मैं जला,
दीप से जो कभी ना प्रकाशित हुई,
उस पतंगे की एक जिंदगानी लिखी।
संघर्षों की मैंने................