ओस की बूँद सा बचपन -कविता
ओस की बूँद सा बचपन 

सूरज की धूप सा बचपन

चाँद की चाँदनी सा बचपन

मिठाई की चाँसनी सा बचपन

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पेड़ों की छाँव है बचपन

दौड़ता नंगे पाँव है बचपन

गिरता,संभालता है बचपन

पर नहीं थकता है बचपन

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उछलता कूदता है बचपन

चाँद को पकड़ता है बचपन

हाथ नहीं आता है बचपन

जाने कहाँ छिप जाता है बचपन

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फूलों सा मुस्काता है बचपन

भौंरों सा गुनगुनाता है बचपन

पक्षियों सा उड़ान भरता है बचपन

ईश्वर का गुणगान करता है बचपन

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मस्ती में झूमता है बचपन

खुशियाँ अपनी चूमता है बचपन

मिट्टी के घरोंदे ,बनाता है बचपन

सपने उसमें सजाता है बचपन

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समेट लो मुट्ठी में,अपना बचपन

लौट कर फिर न आता है बचपन

सहेज कर रख लो अपना बचपन

जाने कब बडा़ हो जाता है बचपन