"बिछड़े मिले "


दो बार घंटी बजने के बाद (फोन की ) दोनों बार काट दी गई। मुझे लगा शायद मनोज बात करना नहीं चाहता। दो घंटे मन में कई विचार आए कि शायद वह मुझसे बात करना नहीं चाहता। अचानक से घंटी आई, मुझे हलचल हुई,  तुरंत फोन उठाया ; आवाज आई कौन मैंने कहा पहचानो? एक  सेकंड बाद मनोज बोला "दीदी"।  मैं मुस्कुरा कर बोली शुक्र है पहचाना तो। मैंने पूछा कहां हो?  वह बोला कि इंग्लैंड में है। वहां  क्या स्थिति है कोरोना की? बोला कि एक महीने से घर में कैद हूं।  मैंने पूछा तुम तो जर्मनी में थे न?  बोला  एक साल पहले यहां आ गया। थोड़ी देर बात करने और एक दूसरे का हालचाल पूछने के बाद दोनों बोले, अपना ध्यान रखना। 
मुझे लगा कोरोना को धन्यवाद दूं।  क्या? !! उसकी वजह से मनोज,  जो मेरा भतीजा था मुझसे एक साल छोटा था,  हम साथ बड़े हुए पर मनोज पढ़ाई, तरक्की की और भाई-बहन के अलावा धीरे-धीरे सब को भूल गया। पर आज इस स्थिति में  वो याद आया और नंबर खोज निकाल मैंने उससे 10 साल बात की।  पर आज लगा ही नही कि हम दूर थे कोरोना ने हमारी नज़दीकियां बढ़ा दी।