ऐसा क्यों होता हर बार
प्रश्नों के घेरे में अधिकतर
घिर जाये नारी बारम्बार..
सर्वस्व देकर भी नहीं पाती
नारी अपना वो अधिकार
जहाँ मिल जाये पूर्णता सम्मान..
मौन रहे तो लग जायें लांछन
विरोध करे तो असंस्कारी नारी
समय की विडंबना ही घोर भारी...
विधि का विधान ही हर युग में
नारियों के लिए अनेकों प्रहार
अनेकों विचारधाराएं, सत्यापित..
युगों -युगों से नारी में है शक्ति
उनकी करुणामय अभिव्यक्ति
कभी-कभी वो अत्यंत निर्बल..
नारी होना दोष हुआ क्यों
देती वो हर बार अग्निरीक्षा..
सत्य-असत्य मे कबतक रौंदे..
नारी अस्तित्व का दर्शन भी...
हर युग में आगे..जीवन मांगें
देगी कबतलक सीता की तरह अग्निपरीक्षा...?