जो रीत गया,
वो बीत गया
जो जीत गया
वो मीत हुआ,
कवि अग्निवेद के शब्दो के अर्थ में निहित है बद़लाव के नये युग की नई इबारत की कहानी जो आजाद भारत के इतिहास में वर्षाे बाद फिर से लिखी जा रही है।बदलाव की नयी बयार आने से पहले बहुत कुछ बदला है। बदली है देश की राजनीति, बदली है देश के जवानों की सोच, बदली है नेतृत्व की चाल, बदला है मन जो अब विकास की चाह के ही मृगतृष्णा में कई बार छला गया है। बदलते भारत की नई इबारत लिखने में उत्तर प्रदेश सरकार का अब तक का सब से बडा बजट आम आदमी के जीवन में क्या बदलाव ला सकेगा?यह प्रश्न चिन्ह इसलिए खडा करना पढ रहा है क्योकि धन मिलना ही बुनियादी सुधार का अकेला कारण नहीं है।विकास की अवधारणा पूरी करने के लिए इच्छा शक्ति की जरूरत होती है। बुन्देलखण्ड में प्राकृतिक कोप जल संकट के चलते यहां का किसान दाने-दाने के लिए परेशान हो कर आत्महत्या को अपने मुक्तिमार्ग बना चुका था। इस अभागे क्षेत्र के किसानों को संकट से बचाने के लिए केन्द्र सरकार ने बुन्देलखण्ड पैकिज के नाम पर बडी इमदाद भेजी थी लेकिन इस इमदाद को नौकरशाही ने अपने स्वार्थ के लिए मनमाने ढग से अन उपयोगी योजना बनाकर लूट की उसका कोई देश में दूसरा उद्धारण मिलना कठिन है। बुन्देलखण्ड पैकिज के 150 करोड रूपये की लागत से अकेले हमीरपुर जनपद में 23 से अधिक कृषि मंडी बना डाली। 2017 में बनकर तैयार हुई कृषि मंडी 2020 आते आते सफेद हाथी बन कर रह गयी है।उत्तर प्रदेश कृषि मंडी परिषद इनका कोई उपयोग न होने के कारण चैकीदार के सहारे छोडे है।150 करोड रूपये पानी में बह कर एक जनपद में रह गया है इसलिए धन से अधिक धर्म की जरूरत है। उत्तर प्रदेश सरकार के सबसे बडे बजट के सदउपयोग का मार्ग खोजने की सबको चिन्ता रखनी पडेगी,बर्ना बजट का गुणा गठित लगाने में माहिर लोग बिकास की अवधारणा को पलीता लगाने के साथ-साथ भविष्य में होने बाले 2022 के विधान सभा चुनाव की राह भी भारतीय जनता पार्टी के लिए कठिन कर देगें।लोकधन के प्रति लोकभवन में बनी योजनाओं का परीक्षण पर जन ही नहीं जन को नेतृत्व प्रदान कर रहे चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ सामाजिक नजर रखी जानी चाहिए और सरकार हर प्रश्न को अपनी आलोचना के तौर पर नहीं अपितु सकारत्म सुझाव के तौर पर समझे तभी हमस ब मिल कर सुन्दर और समृद्ध उत्तर प्रदेश बनाने के सपने को साकार करने में सफल हो सकेगें।
वो बीत गया
जो जीत गया
वो मीत हुआ,
कवि अग्निवेद के शब्दो के अर्थ में निहित है बद़लाव के नये युग की नई इबारत की कहानी जो आजाद भारत के इतिहास में वर्षाे बाद फिर से लिखी जा रही है।बदलाव की नयी बयार आने से पहले बहुत कुछ बदला है। बदली है देश की राजनीति, बदली है देश के जवानों की सोच, बदली है नेतृत्व की चाल, बदला है मन जो अब विकास की चाह के ही मृगतृष्णा में कई बार छला गया है। बदलते भारत की नई इबारत लिखने में उत्तर प्रदेश सरकार का अब तक का सब से बडा बजट आम आदमी के जीवन में क्या बदलाव ला सकेगा?यह प्रश्न चिन्ह इसलिए खडा करना पढ रहा है क्योकि धन मिलना ही बुनियादी सुधार का अकेला कारण नहीं है।विकास की अवधारणा पूरी करने के लिए इच्छा शक्ति की जरूरत होती है। बुन्देलखण्ड में प्राकृतिक कोप जल संकट के चलते यहां का किसान दाने-दाने के लिए परेशान हो कर आत्महत्या को अपने मुक्तिमार्ग बना चुका था। इस अभागे क्षेत्र के किसानों को संकट से बचाने के लिए केन्द्र सरकार ने बुन्देलखण्ड पैकिज के नाम पर बडी इमदाद भेजी थी लेकिन इस इमदाद को नौकरशाही ने अपने स्वार्थ के लिए मनमाने ढग से अन उपयोगी योजना बनाकर लूट की उसका कोई देश में दूसरा उद्धारण मिलना कठिन है। बुन्देलखण्ड पैकिज के 150 करोड रूपये की लागत से अकेले हमीरपुर जनपद में 23 से अधिक कृषि मंडी बना डाली। 2017 में बनकर तैयार हुई कृषि मंडी 2020 आते आते सफेद हाथी बन कर रह गयी है।उत्तर प्रदेश कृषि मंडी परिषद इनका कोई उपयोग न होने के कारण चैकीदार के सहारे छोडे है।150 करोड रूपये पानी में बह कर एक जनपद में रह गया है इसलिए धन से अधिक धर्म की जरूरत है। उत्तर प्रदेश सरकार के सबसे बडे बजट के सदउपयोग का मार्ग खोजने की सबको चिन्ता रखनी पडेगी,बर्ना बजट का गुणा गठित लगाने में माहिर लोग बिकास की अवधारणा को पलीता लगाने के साथ-साथ भविष्य में होने बाले 2022 के विधान सभा चुनाव की राह भी भारतीय जनता पार्टी के लिए कठिन कर देगें।लोकधन के प्रति लोकभवन में बनी योजनाओं का परीक्षण पर जन ही नहीं जन को नेतृत्व प्रदान कर रहे चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ सामाजिक नजर रखी जानी चाहिए और सरकार हर प्रश्न को अपनी आलोचना के तौर पर नहीं अपितु सकारत्म सुझाव के तौर पर समझे तभी हमस ब मिल कर सुन्दर और समृद्ध उत्तर प्रदेश बनाने के सपने को साकार करने में सफल हो सकेगें।
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