साहित्यकार का संवेदनशील होना जरूरी : महेंद्र भीष्म


तिरुवारूर : तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में   अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें प्रसिद्ध साहित्यकार एवं मैं पायल ... और किन्नर कथा जैसे उपन्यासों के लेखक महेंद्र भीष्म उपस्थित थे । उन्होंने साहित्य की रचना प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की और बताया कि किस प्रकार साहित्य में उपेक्षित किन्नर समाज को उन्होंने अपनी रचनाओं का केंद्र बनाया साहित्यकार के दायित्व के बारे में बताते हैं महेंद्र भीष्म जी ने कहाँ कि यह जरूरी नहीं साहित्यकार जिस वर्ग या समुदाय से आता हैं उसे ही अपनी रचनाओं का आधार बनाये अपितु उसका हर वर्ग या समुदाय के प्रति संवेदनशील होना जरूरी है। हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. एस.वी.एस.एस.नारायण राजू ने महेंद्र भीष्म का स्वागत विभाग की परम्परा के अनुसार शाल भेंट कर किया इस अवसर पर प्राध्यापक डॉ. राज रत्नम्, डॉ. आनंद पाटील, डॉ. मधुलिका बेन पटेल, डॉ. रजनीश मिश्रा, डॉ प्रियंका, डॉ. सितारे हिन्द एवं हिंदी अनुवादक दीपिका.के उपस्थित थे। हिंदी विभाग के छात्र-छात्राओं के साथ अन्य विभाग के हिंदी प्रेमी छात्र भी यहाँ उपस्थित थे । शोधार्थी मिलन-घि नोई ने कार्यक्रम का संचालन एवं रामडगे गंगाधर ने विभाग की ओर से धन्यवाद ज्ञापन दिया।