वैश्वीकरण, भूमंडलीकरण, निजीकरण, उदारीकरण व बाजारवाद में से किसी भी नाम से पुकारिए, भारत में यह प्रक्रिया उन्नीस सौ नब्बे के दशक में आरंभ हुई थी । इस युग में कोई सीमा, कोई सरहद या कोई दीवार नहीं हैं अपितु यह तो पूरे विश्व को एक ग्राम में तब्दील करने की ऐसी अवधारणा है जिसने पूरी दुनिया की तस्वीर ही बदल कर रख दी है वैश्वीकरण की प्रक्रिया आरंभिक दौर में भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में हिंदी की तुलना में अंग्रेजी भाषा का महत्व बढ़ा अवश्य था परंतु धीरे-धीरे उसकी गति धीमी होती चली गई । विश्व बाजार व्यवस्था की इस प्रकृति से भारत अछूता नहीं रह सकता था उसे भी वैश्विक मंडी में देर सबेर खड़ा होना ही था । यह भी जग जाहिर है कि वैश्वीकरण ने जहां एक तरफ मुक्त बाजार की दलीलें पेश की वहीं दूसरी तरफ दुनिया में एकक नई उपभोक्ता संस्कृति को भी जन्म दिया आजकल संयुक्त राष्ट्र और विश्व की प्रमुख भाषाओं में हिंदी को शुमार करने की ठोस दलीलें दी जा रही हैं । विश्व हिंदी सम्मेलनों का आयोजन भी एक ऐतिहासिक परिवर्तन की आहट है परिभाषा प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक नोम चॉमस्की ने वैश्वीकरण का अर्थ अंतराष्ट्रीय एकीकरण माना है इस एकीकरण में भाषा की अहम् भूमिका होगी और जो भाषा व्यापक रूप से प्रयोग में रहेगी, उसी का स्थान विश्व में सुनिश्चित होगा नोम चॉमस्की के अनुसार जब विश्व एक बड़ा बाजार हो जाएगा तो बाजार में व्यापार करने के लिए जिस भाषा का प्रयोग होगा उसे ही प्राथमिकता दी जाएगी और वही भाषा जीवित रहेगी । वेट्टे क्लेर रोस्सर ने कहा था कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया अचानक ही बीसवीं सदी में नहीं उत्पन्न हुई अपितु दो हजार वर्ष पूर्व भी भारत ने उस समय विश्व के व्यापार क्षेत्र में अपना सिक्का जमाया था जब वह अपने जायकेदार मसालों, खुशबूदार इत्रों एवं रंग बिरंगे कपड़ों के लिए जाना जाता था । ऐसे समय भारत का व्यापार इतना व्यापक था कि रोम की संसद ने एक विधेयक के माध्यम से अपने लोगों के लिए भारतीय कपड़े का प्रयोग निषिद्ध करार दिया ताकि वहां के सोने के सिक्कों को भारत ले जाने से रोका जा सके तभी से भारत की उक्ति वसुधैव कुटुंबकम प्रचलित हुई हमारे लिए वैश्वीकरण का मुद्दा कोई नया नहीं है विश्वस्तर पर सरकारी कामकाज हेतु अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पेनिश, चीनी, रूसी और अरबी भाषाओं को अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं का स्थान प्राप्त है । हिंदी भी संयुक्त राष्ट्र संघ में अंतर्राष्ट्रीय भाषा का स्थान प्राप्त करने हेतु निरंतर प्रयासरत हैं अंतर्राष्ट्रीय वैश्विक भाषा (ग्लोबल लेंग्वेज) के रूप में हिंदी की उपयोगिता को विश्व का व्यापारिक समुदाय अब भली-भांति समझ भी चुका है । आंकड़े दर्शाते हैं कि सवा सौ करोड़ की आबादी वाले इस राष्ट्र में चालीस करोड़ से अधिक लोगों की मातृभाषा हिंदी है । पैंतीस करोड़ से अधिक लोग इस भाषा का प्रयोग दूसरी भाषा के रूप में करते हैं । लगभग तीस करोड़ लोग ऐसे हैं जिनका किसी न किसी रूप में हिंदी भाषा के साथ सरोकार जुड़ा हुआ है । कहने का आशय यह है कि देश की आबादी के लगभग तीन चौथाई से अधिक लोगों में हिंदी संपर्क का माध्यम है । बाजारवाद और हिंदी वैश्वीकरण का अर्थ व्यापक तौर पर बाजारीकरण है आज मानव जीवन का प्रत्येक क्षेत्र बाजारवाद से प्रभावित है । मुक्त व्यापार और वैश्वीकरण के युग में भारत में हिंदी भाषा संप्रेषण का एक बड़ा बाजार है । प्रसिद्ध समाज विज्ञानी प्रोफेसर आनंद कुमार से वैश्वीकरण के आधार तत्वों के रूप में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया, मध्यम वर्ग, बाजार, संचार माध्यम, बहुउद्देशीय कंपनियां, आप्रवासन और संपन्नता नामक सात तत्वों को प्राथमिकता प्रदान की है । इनमें से एक देशी भाषाओं के अनुकूल बाजार और दूसरा संचार माध्यम प्रमुख हैं । बहुभाषिक समाज व्यवस्था वाले भारत में हिंदी को वैश्विक बाजार ने संपर्क व व्यवहार की भाषा के रूप में अपनाया भारत दुनियाभर के उत्पाद निर्माताओं के लिए एक बड़ा खरीदार और उपभोक्ता बाजार है । दुनिया अब भली भांति इस बात को पहचान चुकी है कि यदि विशाल आबादी वाले भारतीय मध्यमवर्गीय बाजार तक उसे अपनी पहुंच बनानी है तो हिंदी को अपनाना ही होगा । आज बहुराट्रीय और देशी कंपनियों की लगभग सत्तर प्रतिशत से अधिक वस्तुएं हिंदी के माध्यम से जनमानस तक हंच रही हैं । वैश्वीकरण में आर्थिक और सास्कृतिक दोनों दृष्टि से हिंदी की भूमिका बढ़ी है नई बाजार संस्कृति अब तक स्वायत्त रहे समाजों और संस्कृतियों के रहन-सहन, आचार-विचार, भाषा-भूषा और मूल्यबोध सभी का अपने तरीके से अनुकूलन कर रही है । बाजारीकरण की व्यवस्था में हिंदी भाषा इसका माध्यम बनकर उभरी है । प्रिंट एवं इलैक्ट्रानिक मीडिया और हिंदी टेलिविजन पर प्रसारित कार्यक्रम चाहे किसी भी विषय से संबंधित हों उन्हें व्यावसायिकता की दृष्टि से हिंदी एक बहुत बड़ा क्षेत्र उपलब्ध कराती है । टेलीविजन ने इस तरह हिंदी के भाषा वैविध्य और संप्रेषण क्षमता को सर्वथा नई दिशाएं प्रदान की हैं । वैश्वीकरण के इस सघन और उत्कट समय में मीडिया को वर्चस्वशाली भाषा और उच्च तकनीकी विकास का स्त्रोत तथा आधुनिकता के मूल्यों का वाहक माना जा रहा है । विज्ञापनों की भाषा और प्रमोशन वीडियो की भाषा के रूप में सामने आने वाली हिंदी शुद्धतावादियों को भले ही न पच रही हो, युवा वर्ग ने उसे देश भर में अपने सक्रिय भाषा कोष में शामिल कर लिया है । यह हिंदी का ही कमाल है कि आज राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पादों को हम गांवों में प्राप्त कर सकते हैं समाचार पत्रों टी वी की विज्ञापन संस्कृति का इसमें बहुत बड़ा योगदान है । आजकल साबुन और टूथपेस्ट जैसी दैनंदिन उपयोग की वस्तुओं से आगे चलकर अब मोटर साईकिल, कार, फ्रिज, टीवी, वॉशिंग मशीन, ब्रांडेड कंपनियों के कपड़े आदि के विज्ञापन हिंदी में प्रसारित किए जा रहे हैं । छोटे-छोटे कस्बों तक सौंदर्य प्रसाधन के ब्यूटी पार्लर खुल चुके हैं । सैलून जैसे अब गजरे जमाने का शब्द लगने लगा है बड़े-बड़े होर्डिंग्स पर हिंदी में लिखे लोक लुभावन विज्ञापनों और नारों ने शहरी सीमा को लांघकर कस्बों और गांवों में जगह बना ली है टी वी और मोबाइल से शायद ही अब देश का कोई कोना अछूता बचा होगा । वैश्वीकरण बाजार के विकास और विस्तार में प्रिंट एवं इलैक्ट्रॉनिक माडिया पर प्रसारित विज्ञापनों की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका है । अभिव्यक्ति कौशल के विकास का अर्थ भाषा का विकास ही है बाजारीकरण ने आर्थिक उदारीकरण, सूचनाक्रांति तथा जीवन शैली के वैश्वीकरण की जो स्थितियां भारत की जनता के सामने रखी, इसमें संदेह नहीं कि उनमें पड़कर हिंदी भाषा के अभिव्यक्ति कौशल का विकास ही हुआ । आज प्रचार माध्यमों की भाषा हिंदी होने के कारण वे भारतीय परिवार और सामाजिक संरचना की उपेक्षा नहीं कर सकते विज्ञापनों से लेकर धारावाहिकों तक में हिंदी अपनी जड़ों से जुड़ी हुई है आरंभ में मीडिया में छोटे पर्दे और बड़े पर्दे पर स्टार टी वी लाए तो उन्हें एहसास हुआ कि अंग्रेजी माध्यम से बढ़िया प्रोग्राम भी शहरी वर्ग के इलीट क्लास तक ही सीमित हैं । परंतु ज्योहिं स्टार टीवी ने हिंदी में कार्यक्रम प्रसारित करने आरंभ किए तो उसके दर्शकों में बेतहाशा वृद्धि हुई भारत में अब डिस्कवरी, सोनी, कलर, आज तक, एनडीटीवी, जी टीवी आदि अनोकानेक चैनल हिंदी में अपने कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं । आज की परिस्थितियों में समाचार विश्लेषण तक में कोड मिश्रित हिंदी का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है । पौराणिक, ऐतिहासिक, राजनैतिक, पारिवारिक, जासूसी, वैज्ञानिक और हास्य प्रधान अनेक प्रकार के धारावाहिकों का प्रदर्शन विभिन्न चैनलों पर जिस हिंदी में किया जा रहा है उसमें विषय संदर्भित व्याहारिक भाषा रूपों और कोडों का मिश्रण किया जाता है जिस सहज ही जनस्वीकृति मिल रही है । हिंदी पत्रकारिता में सुविधा ने बाजारी व्यवस्था प्रकार का साहित्य प्रचुर शिक्षा और परस्पर व्यवहार इंटरनेट और वेबसाइट की पूर्णरूप से ऑनलाइन पत्र दरवाजे खोल दिए हैं यही हिंदी पत्रकारिता में डिजिटल तकनीकी और बरंगे चित्रों के प्रकाशन की सुविधा ने बाजारी व्यवस्था को परिवर्तित कर दिया है । आज हिंदी में विविध प्रकार का साहित्य प्रचुर मात्रा में प्रकाशित हो रहा है तथा मनोरंजन, ज्ञान, शिक्षा और परस्पर व्यवहार के विभिन्न क्षेत्रों में उसका विस्तार हो रहा है इंटरनेट और वेबसाइट की सुविधा ने पत्र व पत्रिकाओं के ई संस्करणों तथा पूर्णरूप से ऑनलाइन पत्र व पत्रकाओं को उपबल्ध कराकर सर्वथा ई दुनिया के दरवाजे खोल दिए हैं यही कारण है कि आज हिंदी की अनेक पत्रिकाएं इस रूप में कहीं भी और कभी भी सुलभ हैं तथा इंटरनेट पर हिंदी में अब हर प्रकार की जानकारी प्राप्त हो रही है । कंप्यूटर युग में अनुवाद कार्य का विस्तार कंप्युटर युग में विश्व और सिकुड़ गया है । अब घर बैठे विश्व में कहीं भी संपर्क स्थापित किया जा सकता है वैश्वीकरण के इस दौर में अनुवाद के कार्य का विस्तार दिनौदिन बढ़ता जा रहा है । वह दिन दूर नहीं जब तकनीक के आदान-प्रदान में अनुवाद अपनी विशेष भूमिका अदा कर पाएगा इंटरनेट के माध्यम से हिंदी की विभिन्न वेबसाइट, चिट्ठाकार और अनेकानेक सामग्री उपलब्ध हो रही है । यूनिकोड के माध्यम से कंप्युटर पर अब किसी भी भाषा में कार्य करना न केवल सरल ही हो गया है अपितु जिस भाषा में हम अपने सिस्टम पर सामग्री तैयार करते हैं उसे विश्व के किसी भी कोने में न केवल यथावत पा ही सकते हैं अपितु इच्छानुसार परिवर्तित भी कर सकते हैं आज हिंदी के स्वरूप, क्षेत्र एवं प्रकृति में बदलाव आया है । आज हिंदी समूचे भूमंडल की एक प्रमुख भाषा के रूप में उभरी है आज की बदलती परिस्थितियों में हिंदी भाषियों और भारत की शक्ति के नाते ही सही अमेरीकी सरकार के साथ साथ कम्प्यूटरक किंग कहे जाने ववाले बिल गेट्स भी हिंदी के उपयोग में दिलचस्पी दिका रहे हैं गूगल के मुख्य अधिकारियों का मानना है कि भविष्य में स्पेनिश नहीं बल्कि अंग्रेजी और चीनी के साथ हिंदी ही इंटरनेट की प्रमुख भाषा होगी । आजकल गूगल के माध्यम से अंग्रेजी भाषा से हिंदी भाषा में स्पीच से सीधा अनुवाद भी उपलब्ध होने लग गया है गूगल सॉफ्टवेयर से अंग्रेजी डाक्यूमेंट को हिंदी भाषा में तुरंत अनुदित करने की सुविधा उपलब्ध हो गई है ।
फिल्मों में हिंदी
फिल्म के माध्यम से भी हिंदी को वैश्वक स्तर पर सम्मान प्राप्त हो रहा है आज अनेक फिल्मकार भारत ही नहीं यूरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों के अपने दर्शकों को ध्यान में रखकर फिल्में बना रहे हैं और हिंदी सिनेमा ऑस्कर तक पहंच रहा है । सिनेमा ने हिंदी की लोकप्रियता और व्यावहारिकता दोनों ही बढ़ाई है । कहने को तो बड़े पर्दे पर अनेकाने फिल्में डब होती रहती हैं, परंतु जिस दिन से हालीवुड की फिल्मों को बालीवुड की भाषा में लाने की कोशिश शुरू हुई उसी दिन से एक नई चीज फिल्म इंटस्ट्री में देखने को मिल रही है जब जुरासिक पार्क को हिंदी में डब किया गया तो देश के दूरदराज के गोव व कस्बों तक उसे खूब पसंद किया गया उल्लेकनीय यह है कि इसके पहले किसी भी विदेशी फिल्म ने इतना मुनाफी नहीं कमाया था । ये तथ्य इस बात के संकेत है कि हिंदी में कितनी जबरदस्त क्षमता है
संचार माध्यमों में हिंदी
सूचनाओं का व्यापक संप्रेषण करने वाला संचार माध्यम समाज का दर्पण है । संचार माध्यमों का ताना और बाना अधिक जटिल और व्यापक है क्योंकि वे तुरंत और दूरगामी असर करते हैं । वैश्वीकरण ने उन्हें अनेक चैनल उपलब्ध कराए हैं । इंटरनेट और वेबसाइट के रूप में अंतर्राष्ट्रीयता के नए अस्त्र और शस्त्र मुहैया कराए हैं । संचार माध्यमों की भाषा में नए शब्दों, वाक्यों, अभिव्यक्तियों और वाक्य संयोजन की विधियों का समावेश होता रहता है जिससे हिंदी भाषा के सामर्थ्य में वृद्धि हुई है संचार माध्यम भाषा द्वारा ही आज के आदमी को पूरी दुनिया से जोड़ते हैं । संचार माध्यम की भाषा के रूप में प्रयुक्त होने पर हिंदी समस्त ज्ञान विज्ञान और आधुनिक विषयों से सहज ही जुड़ गई है । वह अदालतनुमा कार्यक्रमों के रूप में सरकार और प्रशासन से प्रश्न पूछती है, विश्व जनमत का निर्माण करने के लिए बुद्धिजीवियों और जनता के विचारों के प्रकटीकरण और प्रसारण का आधार बनती है, सच्चाई का बयान करके समाज को अफवाहों से बचाती है, विकास योजनाओं के संबंध में जन शिक्षण का दायित्व निभाती है, घटनाचक्र और समाचारों का गहन विश्लेषण करती है तथा वस्तु की प्रकृति के अनुकूल विज्ञापन की रचना करके उपभोक्ता को उसकी अपनी भाषा में बाजार से चुनाव की सुविधा मुहैया कराती है । व्यवहार क्षेत्र की व्यापकता के कारण संचार माध्यमों के सहारे हिंदी भाषा की संप्रेषण क्षमता का बहुमुखी विकास हो रहा है । राष्ट्रीय और विविधअंतर्राष्ट्रीय चैनलों में हिंदी आधुनिक संदर्भो के व्यक्त करने के अपने सामर्थ्य को विश्व के समक्ष प्रमाणित कर रही है । आज संचार माध्यम की भाषा बनकर हिंदी ने जनभाषा का रूप धारण करके व्यापक जन स्वीकृति प्राप्त की है संचार माध्यमों के कारण हिंदी भाषा का तेजी से सरलीकरण होने से वैश्विक स्तर पर भी उसे स्वीकृति प्राप्त हो रही है अंत में कहा जा सकता है कि हिंदी भाषा ने बाजार और कंप्यूटर दोनों की भाषा के रूप में अपना सामर्थ्य सिदध कर दिया है । भविष्य की विश्वभाषा की ये ही तो दो कसौटियां बताई जाती रही हैं । आजकल मुद्रित और इलेक्ट्रॉनिक दोनों ही प्रकार के जनसंचार माध्यम नए विकास के आयामों को छू रहे हैं हिंदी भाषी भी बाधाओं को पार करते हुए नित नवीन ऊंचाइयां छू रही है । वैश्वीकरण के इस युग में भारतीय संस्कृति विश्व पर हावी हो रही है । आज के मानसिक तनाव को देखते हुए विश्व की बड़ी कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए योग एवं ध्यान के प्रशिक्षण के उपाय कर रही हैं । हमारे योग गुरू बाबा रामदेव जी और अन्य गुरू आज देश विदेश में जाकर भारतीय संस्कृति का प्रचार व प्रसार कर रहे हैं । विदेशी समुदाय इससे लाभान्वित हो रहा है सूचना, समाचार और संवाद प्रेषण के लिए हिंदी को विकल्प के रूप में अपनाकर समृद्ध किया है । वैश्वीकरण के कारण जहां पूरा विश्व एक गांव में तब्दील हो चुका है वैश्विक बाजार संस्कृति के लिए हिंदी सबसे अनुकूल भाषा के रूप में अपनाई जा रही है । इससे जहां एक ओर हिंदी का विकास व विस्तार हो रहा है वहीं दूसरी ओर संपूर्ण राष्ट्र में भाषिक संपन्नता का परिचय पाकर हिंदी की स्वीकृति का भी क्षेत्र विस्तृत होता जा रहा है हिंदी भाषा विक्रेता और क्रेता के बीच सेतु का कार्य कर रही है आज कंप्यूटर, मोबाइल, फेसबुक, ट्वीटर, ब्लॉक, वाट्सएप इत्यादि पर हिंदी के प्रयोग ने दुनिया को सचमुच मनुष्य की मुट्ठी में कर दिया है वह दिन दूर नहीं जब हर जगह हिंदी भाषा का बोलबाला नजर आएगा । भारत की सदियों पुरानी उक्ति वसुधैव कुटुम्बकम् एक बार फिर से चरितार्थ होती जा रही है ।
राजभाषा भारती से साभार