---मैं तुझसे लड़ने आया ग़म---

रब से कोई दुआ थी माँगी
फल में जिसके  पाया ग़म
सबके हिस्से आई खुशियाँ
मेरे   हिस्से   आया   ग़म
भोर दोपहर या हो संध्या
बदली बन के  छाया ग़म
भारी सा दिल गीली आँखें
मुझको बहुत  रुलाया ग़म
 
क्या चाहे तू क्या है इच्छा
क्यों तूने मुझे सताया ग़म
 
एक  ज़िंदगीए चंद  हैं  साँसें
क्यों कर दूँ इसको ज़ाया ग़म
सुनए मैं पत्थर  हो  जाऊंगा
ग़र अपनी पे जो आया ग़म
 
जोश मिलाया जब हिम्मत संग
डरा   बहुत   घबराया   ग़म
धमकी दी मुझको क़िस्मत की
फ़िर  और  मुश्किलें लाया ग़म
मज़बूत इरादेएसंग इच्छाशक्ति
मैं  तुझसे  लड़ने  आया  ग़म
क़ोशिश कर ली ज़ोर लगाया
कुछ  भी  ना कर  पाया  ग़म
हार मानकर वापस भागा
ग़लती  पे  पछताया  ग़म
तूने  सोचा ना  हो पाएगा
करके मैनें दिखलाया ग़म