अधूरापन


झील के किनारे नीला बैठी हुई पानी की  कल कल की मधुर आवाज का आंनद ले रही थी कि तभी पीछे से बंटी ने आवाज दी , नीला अब अंदर आ जाओ सूरज ढल चुका है और ठंड भी बड़ गई है ! नीला और बटीं चार दिन के लिए नैनीताल घुमने आए थे! नैनी झील के पास ही होटल बुक किया था ! बंटी की आवाज सुन, नीला उछली और उसका हाथ थामें होटल की ओर चल दी ! नीला और बंटी आज भी ये समझ नही पा रहे थे कि ऐसी क्या बात है दोनों के बीच जिसने उन्हंे चाहे अनचाहे एक दूसरे के इतने करीब कर दिया है कि उन्हे अब समाज की परवाह नही रही !
नीला शादी के 20 साल गुजर जाने के बाद भी प्रमोद के साथ वह रिश्ता जोड़ नही पाई थी ! उसके और प्रमोद के बीच एक अजीब सी खामोशी थी , जिसने कभी उन्हे करीब होने नहीं  दिया ! कारण प्रमोद ही था शुरू से ही वह हर छोटी-छोटी बीत पर नीला से खफा हो कर कई कई महीन बात नही करता था ! धीरे -धीरे नीला उस सबकी आदि हो गई ! अब उसे प्रमोद के होने या न होने से कोई फर्क नही पड़ता था !
यही हाल बंटी की शादीशुदा जिंदगी का था ! उसकी शादी को इस साल 25 वर्ष पूरे होने वाले थे मगर वह आज भी संगीता से जोड़ नही सका ! शायद इन्ही हालातों ने नीला और बंटी को एक दूसरे से जोड़ दिया ! मौका मिलते ही दोनों अपनी अंजानी दूनिया में खो  जाते ! एक दूसरे के साथ वह खुद को पूरा महसूस करते थे पर समाज के दायरों के आगे मजबूर थे! अपनी खुशी के लिए बहुत सी जिदगियों के साथ खेलना उन्हे गवारा नही था ! इस लिए चोरी से मिले पलों को ही भरपूर जी लेते थे !
देखते देखते कई साल बीत गए ! बंटी और नीला का लगाव उमर के साथ बड़ता ही गया ! शायद इसकी वजह सामाजिक बंधन का न होना था ! दोनो एक दूसरे से दिल से दो स्वतंत्र वयक्तियों की तरह  जोड़ थे , जिसने उनके रिश्ते की ताजगी को बनाए रखा ! फिर एक दिन नीला बहुत बीमार पड़ गई , बंटी चाह कर भी उस से मिल नही पा रहा था! आज उसे अपने सामाजिक रिश्ते के नाम की जरूरत महसूस हो रही थी! वह नीला से पूरे हक के साथ मिलना चाहता था मगर मजबूर था ! अगले दिन नीला चल बसी और बंटी टूट गया ! वह नीला के जनाजे को दूर से निहारता रहा और सोचता रहा क्या उसका और नीला का रिश्ता भी अधूरा रहा ? जिसके साथ उसे पूरा, होने का अहसास होता था ! आदमी सभी को खुश रखने के चक्कर में कभी पूरी जिदगी जी नही पीता कुछ अधूरापन रह ही जाता है !