महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के बीच सेतु के रूप में कार्य किया - श्री नाईक
 


लखनऊ: 

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज कैसरबाग स्थित कला मण्डपम् प्रेक्षागृह में महाराष्ट्र समाज लखनऊ, मराठी समाज उत्तर प्रदेश एवं भातखण्डे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय लखनऊ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 'महाराष्ट्र दिवस' समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्रीमती संयुक्ता भाटिया महापौर लखनऊ, कुलपति श्रीमती श्रुति सडोलीकर काटकर, दुग्ध विकास एवं पशुधन विभाग के प्रमुख सचिव श्री सुधीर एम0 बोबडे, आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव श्री नीतिन रमेश गोकर्ण, मराठी समाज उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष श्री उमेश पाटिल, महाराष्ट्र समाज के अध्यक्ष श्री विवेक फड़के सहित बड़ी संख्या में मराठी भाषी महानुभाव उपस्थित थे। राज्यपाल ने समारोह में सर्वप्रथम महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में नक्सली हमले में शहीद हुये सुरक्षाकर्मियों को मौन धारण करके अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि इस कठिन समय में पूरा देश शहीदों के परिजनों के साथ है तथा विश्वास जताया कि केन्द्र सरकार एवं महाराष्ट्र सरकार योग्य कार्यवाही करेगी।

राज्यपाल ने महाराष्ट्र दिवस की बधाई देते हुये कहा कि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश का प्राचीन समय से करीब का रिश्ता रहा है। प्रभु राम ने अयोध्या से वनवास प्रस्थान पर नासिक जाने का निर्णय लिया। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में नाना साहेब पेशवा, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, विख्यात पत्रकार बाबूराव पराड़कर जैसे अनेक महानुभावों ने उत्तर प्रदेश को अपनी कर्मस्थली बनाया। महाराष्ट्र में जन्में पंडित विष्णु दिगम्बर एवं पंडित विष्णु नारायण भातखण्डे ने उत्तर प्रदेश की भूमि पर शास्त्रीय संगीत का जो बीज रोपा था वह आज वट वृक्ष बनकर पूरे देश का एकमेव संगीत विश्वविद्यालय है। काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निमाण, घाटों का निर्माण तथा काशी की सांस्कृतिक धरोहर को बनाये रखने में महाराष्ट्र का महत्वूपर्ण योगदान है। नैमिषारण्य भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण स्थान है जहाँ महाराष्ट्र के समर्थ गुरू रामदास की प्रतिमा स्थापित है तथा गोंदवलेकर महाराज की भी सीतापुर तपोभूमि रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में बसने वाले मराठी भाषी लोग भावनात्मक एवं सांस्कृतिक रूप से प्रदेश के अंग बन चुके हैं।

श्री नाईक ने कहा कि उनका पांच वर्ष का कार्यकाल 22 जुलाई 2019 को पूरा हो रहा है। इस कालावधि में उन्होंने उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच सेतु का काम किया है। लखनऊ विश्वविद्यालय में छत्रपति शिवाजी महाराज के अश्वारोही कांस्य प्रतिमा की स्थापना तथा शिव जयंती कार्यक्रम की शुरूआत, आगरा किले में ऐतिहासिक तथ्य को सही कराते हुये नया शिलालेख लगवाने, छत्रपति शाहू जी महाराज की जयंती में संशोधन, डाॅ0 भीमराव आंबेडकर के नाम में सुधार, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के अजर-अमर उद्घोष 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा' के 101 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजन, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के मध्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान का समझौता, ग0दि0 मडगुलकर एवं सुधीर फड़के के जन्म शताब्दी के अवसर पर प्रदेश के वाराणसी, आगरा, मेरठ एवं लखनऊ में 'गीत रामायण' का आयोजन, लखनऊ में महाराष्ट्र दिवस का आयोजन, उत्तर प्रदेश दिवस का मुंबई एवं लखनऊ में आयोजन जैसे कार्यक्रमों ने दोनों प्रदेश में प्रगाढ़ता का वातावरण निर्मित किया है। उन्होंने कहा कि परम्परागत तरीके से महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के रिश्ते हैं। राज्यपाल ने विश्वास जताया कि दोनों प्रदेशों में आगे भी रिश्ते निरन्तर बढ़ते रहेंगे।

राज्यपाल ने कहा कि चुनाव लोकशाही का महोत्सव है। संविधान द्वारा प्रदत्त मतदान का अधिकार का प्रयोग स्वयं करें और दूसरों को भी मतदान के लिये प्रेरित करें। अनेक प्रकार के दान होते हैं जैसे रक्तदान, नेत्रदान, देहदान, धनदान, वस्त्रदान पर मतदान सर्वश्रेष्ठ दान है। एक मत से सरकार बनती और गिरती है। 

मुख्य अतिथि महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया ने कहा कि महाराष्ट्र का उत्तर प्रदेश से रामायण काल से रिश्ता है। महाराष्ट्र बाबा साहेब आंबेडकर सहित अनेक महापुरूषों की कर्मस्थली है। महाराष्ट्र देश को आर्थिक संबल प्रदान करने वाला प्रदेश है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम से दोनों प्रदेश के लोगों को एक-दूसरे की संस्कृति और कला की जानकारी मिलेगी। 

समारोह में राज्यपाल का सम्मान अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह व पुष्प गुच्छ देकर किया गया। कार्यक्रम में कुलपति श्रीमती श्रुति सडोलीकर काटकर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।