रिक्त स्थान एक यक़ीन का   जूझ रहा तस्वीर संग
 

 

 

चलते  चलते बस इतना ही

की एक यक़ीन तुमने कहा था रखने को सहेज़ 

और अब जाते जाते एक

यक़ीन तुम्हें रखने को कहती हूँ....सहेजने...!!

 

 उस दरख्ते यक़ीन में

सदैव मिलूँगी तुम्हें मैं..!!!

 

सींचते रहना  तुम

अभी भी उस  जगह महफूज़ मिलूँगी

किसी कोने में

तुम्हारी हथेलियों कीलकीरो सी....!!

 

सुनो...

की तस्वीर अब भी

तुम्हारे धुन्धले अक्स की

कैद हैं मुझमें।.....!!!

 

हो सके तो मेरी तस्वीर 

बना यक़ीन लगा देना

उस रिक्त पड़े  कोने में

कभी किसी दिन....!!

 

तब  मुस्कुराती मिलूँगी

मैं इस  ख़ाली पड़े वज़ूद

मे तुम्हे