मोदी के खिलाफ विवादित बयानों की आंधी
 

 

आम चुनाव के प्रचार में इनदिनों विवादित बयानों की बाढ़ आयी है, सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं, गाली-गलौच, अपशब्दों एवं अमर्यादित भाषा का उपयोग कर रहे हैं, जो लोकतंत्र के इस महापर्व में लोकतांत्रिक मूल्यों पर कुठाराघात है। विशेषतः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और उनकी जन-कल्याण की योजनाओं से भड़के कांग्रेस एवं महागठबंधन के नेता अपनी जुबान संभाल नहीं पा रहे। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव का उग्र प्रचार होता जा रहा है वैसे-वैसे प्रधानमंत्री मोदी के प्रति विभिन्न राजनीतिक दलाओं के नेताओं की बौखलाहट बढ़ती जा रही है। नरेन्द्र मोदी के दर्शन, उनके विकासमूलक कार्यक्रमों, उनके व्यक्तित्व, उनकी बढ़ती ख्याति व उनकी कार्य-पद्धतियांे पर कीचड़ उछालने की हदें पार हो रही हैं, उनके खिलाफ अमर्यादित भाषा का उपयोग हो रहा हैं और उन्हें गालियां देकर विपक्षी नेता स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। इस तरह कांग्रेस नेताओं द्वारा मोदी के लिए अपशब्दों एवं अमर्यादित भाषा का प्रयोग करना कोई नई बात नहीं है। आए दिन कोई-न-कोई कांग्रेस नेता प्रधानमंत्री मोदी के लिए अपशब्द कहता ही रहता है। राहुल गांधी तो चैकीदार चोर हैं के नारे को बुलन्द किये हुए हैं, लेकिन उन्होंने इस बात का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं दिया कि चैकीदार यानी मोदी ने क्या चोरी की है। न केवल राजनीतिक बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर मोदी पर विवादित बयान का एक लम्बा सिलसिला जारी है, जिसे न केवल लोकतंत्र बल्कि राजनीतिक मर्यादा की दृष्टि से औचित्यपूर्ण नहीं माना जा सकता। 

लोकतंत्र के इस महा अनुष्ठान में यदि इस तरह जनतंत्र के आदर्शों को भुला दिया जाता है तो वहां लोकतंत्र के आदर्शों की रक्षा नहीं हो सकती। राजनैतिक लोगों से महात्मा बनने की आशा नहीं की जा सकती, पर वे अशालीनता एवं अमर्यादा पर उतर आये, यह ठीक नहीं है। मोदी के खिलाफ विवादित बयानों ने एक काला इतिहास ही रच दिया है। राहुल गांधी के करीबी बी नारायण राव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी शादी कर सकते हैं, लेकिन बच्चा नहीं हो सकते। इस तरह उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को नामर्द कहा। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने 16 मार्च को टीवी बहस के दौरान मोदी की तुलना आतंकी मसूद अजहर, ओसामा बिन लादेन, दाऊद इब्राहिम और आईएसआई से कर दी थी। राहुल गांधी की मौजूदगी में तेलंगाना यूनिट की अध्यक्ष विजयाशांति ने मोदी की तुलना आतंकवादी से करते हुए कहा, 'वे (पीएम मोदी) आतंकी जैसा दिखते हैं। लोगों को प्यार करने के बजाय उन्हें वे डराते हैं। किसी प्रधानमंत्री को ऐसा नहीं होना चाहिए।' कांग्रेस के वरिष्ठ राशिद अल्वी ने तो कई बार मोदी के लिये अपशब्दों का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी खुद बड़े-बड़े महलों में रहते हैं, लाखों के सूट पहनते हैं, लेकिन अपनी बुजुर्ग मां को छोटे से कमरे में रखते हैं। पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने मोदी की तुलना हिटलर से की है। शिंदे ने कहा कि पीएम मोदी एक तानाशाह की तरह बर्ताव कर रहे हैं। बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष श्यामसुंदर सिंह धीरज ने मोदी को चोर और नटवरलाल कहा है। राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी को तुगलक कह डाला है। राजस्थान के कद्दावर नेता और बांसवाड़ा जिले की बागीदौरा सीट से कांग्रेस विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने गालीगलौज की तमाम हदों को पार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी की मां के बारे में अपशब्द कहे। जिग्नेश मेवानी ने मोदी को नमक हराम कहा है। राजस्थान में कांग्रेस नेता विलासराव मुत्तेमवार ने मोदी के पिता को लेकर कहा कि राहुल गांधी की चार पीढ़ियों को पूरा देश जानता है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का बाप कौन हैं इसके बारे में कोई नहीं जानता? कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राज बब्बर ने इंदौर की एक चुनावी सभा में सारी हदों को पार करते हुए कहा कि आज डॉलर के सामने रुपया इतना गिर गया है कि पीएम मोदी की मां की उम्र के करीब पहुंचने लगा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गाली देने का सिलसिला थम नहीं रहा है। कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने 9 नवंबर, 2018 को कहा कि, 'हर बुरे काम के लिए ये लोग कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हैं। नरेन्द्र मोदी से बुरा तो कुछ है ही नहीं। इस तरह के तथाकथित बयानों से कांग्रेस पार्टी की न केवल फजीहत हो रही है, बल्कि ये बयान उसकी बौखलाहट को दर्शा रही है। 

कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं के साथ-साथ प्रादेशिक एवं स्थानीय नेता भी अपने बड़बोलेपन, अशिष्ट एवं अशालीन भाषा के लिये चर्चित है। इस तरह के लोग राजनीति में जगह बनाने के लिये ऐसी अनुशासनहीनता एवं अशिष्टता करते हैं। यह पहला अवसर नहीं है जब कांग्रेसी नेताओं के इस तरह के ओछे, स्तरहीन एवं अशालीन शब्दों का प्रयोग किया है। इससे पहले मणिशंकर अय्यर ने 3 मार्च, 2013 को नरेंद्र मोदी को सांप, बिच्छू और गंदा आदमी कहा था। उन्होंने नवंबर, 2012 की एक चुनावी रैली में नरेंद्र मोदी को लहू पुरुष, पानी पुरुष और असत्य का सौदागर भी बताया। 

महात्मा गांधी ने कहा था कि मेरा ईश्वर दरिद्र-नारायणों में रहता है।' आज यदि उनके भक्तों- कांग्रेसजनों से यही प्रश्न पूछा जाये तो संभवतः यही उत्तर मिलेगा कि हमारा ईश्वर कुर्सी में रहता है, सत्ता में रहता है। तभी उनमें अच्छाई-बुराई न दिखाई देकर केवल सत्तालोलुपता दिखती है। कभी सोनिया गांधी का वह बयान, जिसने वास्तव में गुजरात की जनता को झकझोर कर रख दिया था। तब सोनिया ने गुजरात के तत्कालीन और बेहद लोकप्रिय मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को 'मौत का सौदागर' बताया था। सोनिया ने कहा था, “मेरा पूरा भरोसा है कि आप ऐसे लोगों को मंजूर नहीं करेंगे जो जहर का बीज बोते हैं।“ 'मौत का सौदागर' के बाद 'जहर की खेती' के इस बयान ने गुजरात ही नहीं, देश की जनता की भावना को जगा दिया। नतीजा लोकसभा चुनाव के परिणाम के रूप में सामने आया, जिसमें बीजेपी को 278 और कांग्रेस को 45 सीटें मिली। जनता को बेवकूफ एवं नासमझ समझने की भूल कांग्रेस बार-बार करती रही है और बार-बार मात खाती रही है। 

आम लोकसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेसी नेताओं के बयान क्या रंग लायंेगे, यह भविष्य के गर्भ में हैं, लेकिन स्वस्थ एवं आदर्श लोकतंत्र के लिये देश के प्रधानमंत्री के लिये इस तरह के निम्न, स्तरहीन एवं अमर्यादित शब्दों का प्रयोग होना, एक विडम्बना है, एक त्रासदी है, एक शर्मनाक स्थिति है। केवल कांग्रेस ही नहीं, अन्य राजनीतिक दल के नेता भी ऐसी अपरिपक्वता एवं अशालीनता का परिचय देते रहे हैं। बात 6 अक्टूबर, 2016 की है जब देश सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जय-जयकार कर रहा था। विरोधी भी चुप रहने को मजबूर थे। हां, केजरीवाल जरूर सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे थे। ये तथाकथित लेता गाली ही नहीं देते रहे, बल्कि गोली तक की भाषा का इस्तेमाल करते रहे हैं। लेकिन क्या कोई गाली या गोली मोदी को नुकसान पहुंचा सकेंगी? क्योंकि उन्होंने अपनी योजनाओं एवं कार्यनिष्ठा से जनसमर्थन की ऊंचाइयों को पाया है। किसी ने मोदी को रैबिज से पीड़ित बताया तो किसी ने उन्हें केवल चूहे मात्र माना। चायवाले से तो वे चर्चित हैं। लेकिन मोदी के व्यक्तित्व की ऊंचाई एवं गहराई है कि उन्होंने अपने विरोध को सदैव विनोद माना। ये विपक्ष के नेता राजनीति कर सकते हैं और उसके लिए वे किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। उनका लक्ष्य ”वोट“ है। सस्ती लोकप्रियता है। कभी-कभी प्रशंसा नहीं गालियां मोदी को ज्यादा प्रतिष्ठा देती हैं, ज्यादा जनप्रिय बनाती है, जनता का समर्थन देती है। पर कांग्रेस नेता भी जाने कि बिना श्रद्धा, प्रेम, सत्य, त्याग, राष्ट्रीयता के कोई विचार, आन्दोलन या पार्टी नहीं चल सकती। मोदी की राजनीति व धर्म का आधार सत्ता नहीं, सेवा है। जनता को भयमुक्त व वास्तविक आजादी दिलाना उनका लक्ष्य है। वे सम्पूर्ण भारतीयता की अमर धरोहर हैं। भ्रष्टाचार उन्मूलन, कालेधन पर शिकंजा कसने, वीआईपी संस्कृति को समाप्त करने, नया भारत निर्मित करने, स्वच्छता अभियान, दलितों के उद्धार और उनकी प्रतिष्ठा के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर रखा है। उनके जीवन की विशेषता कथनी और करनी में अंतर नहीं होना है। ये आज के तथाकथित ”नव मनु“ बड़ी लकीर नहीं खींच सकते। वे दूसरी को काटकर झूठी हुंकार भरते हैं। आज जैसे बुद्धिमानी एक ”वैल्यू“ है, वैसे बेवकूफी भी एक ”वैल्यू“ है और मूल्यहीनता के दौर में यह मूल्य काफी प्रचलित है। आज के माहौल में इस ”वैल्यू“ को फायदेमंद मानना राजनीति की एक अपरिपक्वता एवं नासमझी ही कही जायेगी। कांग्रेसी नेताओं एवं अन्य दलों के नेताओं की फिसली जुबान ने बीजेपी को संजीवनी ही दी है और इससे भाजपा का वोटों का समीकरण  सुधरता हुआ नजर आ रहा है।